ब्लैक फंगल को लेकर प्रशासन अलर्ट मोड में!: कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगल से निपटने प्रशासन बना रहा व्यवस्था, लेकिन बाजार में नहीं है इंजेक्शन, कैसे होगा उपचार

ब्लैक फंगल को लेकर प्रशासन अलर्ट मोड में!: कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगल से निपटने प्रशासन बना रहा व्यवस्था, लेकिन बाजार में नहीं है इंजेक्शन, कैसे होगा उपचार


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छिंदवाड़ा24 मिनट पहले

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सिवनी में ब्लैक फंगल से पीड़ित मरीज

  • पड़ोसी जिले में मिल चुके हैं ब्लैक फंगल पीड़ित, प्रशासन हुआ सतर्क

छिंदवाड़ा। कोरोना काल में मरीजों पर एक नई आफत आ गई है। कोरोना को मात देने के बाद मरीज अब ब्लैक फंगस म्युकर माइकोसिस के संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। हालांकि यह संक्रमण अभी तक जिले में नहीं पहुंचा है लेकिन भोपाल, इंदौर, जबलपुर सहित अन्य कई जिलों में इस बीमारी ने दस्तक दे दी है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मरीजों के उपचार के लिए विशेष व्यवस्था में जुटे हुए है । मरीजों के लिए विशेष म्युकर माइकोसिस यूनिट तैयार की गई है। इससे पीड़ितों को जरूरी दवा और सर्जरी की सुविधा उपलब्ध होगी। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जीसी चौरसिया ने बताया है कि ऐसे मरीजों का इएनटी नेत्र, न्यूरोलॉजी, एनीस्थीसिया और दंत चिकित्सक की टीम इलाज करेगी । कैंसर की तरह हड्डियों को गलाने वाला यह फंगस नाक कान, आंख से होते हुए दिमाग तक पहुंचता है तो जानलेवा बन जाता है। देर होने पर मरीजों की जान बचाना मुष्किल हो जाता है. इसी लिए हम लोगों को लगातार इस बीमारी के लिए जागरूक करने का प्रयास कर रहे है. ताकि किसी भी व्यक्ति को इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते है तो वह तत्काल उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे. ताकि समय रहते उनका उपचार किया जा सके। कोविड उपचार के दौरान डायबिटीज पीड़ित मरीजों को जरूरत से ज्यादा स्टायरॉयड देने और अनियंत्रित शुगर को इस बीमारी की वजह मान रहे हैं। डायबिटीज पीड़ित को घेर रहा ब्लैक फंगसडॉक्टर जीसी चैरसिया के अनुसार कोविड मरीजों की इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है। अनियंत्रित डायबिटीज वाले मरीज को ब्लैक फंगस के अटैक का खतरा ज्यादा रहता है। अभी जो जिले के बाहर मरीज मिल रहे हैं उनमें ज्यादातर वे है जिन्हें कोविड उपचार के दौरान जरूरत से ज्यादा स्टॉयरायड दिया गया। उनका शुगर लेवल काफी बढ़ा हुआ है। कुछ डॉक्टरों ने एंटी फंगल दवा के रूप में मरीजों को विरोकोनाजॉल की डोज दे दी। यह दवा फंगस को रोकने की बजाय म्युकर माइकोसिस को प्रमोट कर रही हैं।

महंगा उपचार, दवा की भी कमी

डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस के पीड़ित का उपचार काफी महंगा है। मरीज को एक दिन में लगभग नौ हजार रुपए के एक इंजेक्शन और लगभग दस हजार रुपए दिन की टेबलेट की जरूरत शुरुआत में पड़ रही है । गम्भीर स्थिति में चालीस हजार रुपए तक के इंजेक्शन की जरूरत होती है। स्थिति बिगडने पर सर्जरी करना पड़ रही है । लेकिन चिंताजनक बात यह कि छिंदवाड़ा में इसके इंजेक्शन नहीं मिल रहेे हैं।

सिवनी में दस्तक दे चुका है ब्लैक फंगल

कोरोना के बाद लोगों में अब ब्लैक फंगल को लेकर दहशत देखी जा रही है । खासकर छिंदवाड़ा में लोग इस बीमारी को लेकर ज्यादा चिंतित है , क्योंकि छिंदवाड़ा के पड़ोसी जिले नरसिंहपुर और सिवनी में ब्लैक फंगल के मरीज मिल चुके हैं। जिसके बाद स्थानीय प्रशासन भी हरकत में आ गया है वही इस बीमारी को रोकने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है।

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