सचिन तेंदुलकर ने भी 10-12 साल झेली थी एंग्जाइटी: मास्टर-ब्लास्टर ने कहा मैच से एक रात पहले सो नहीं पाते थे, इसे तैयारी का हिस्सा मान कर निकाला समाधान

सचिन तेंदुलकर ने भी 10-12 साल झेली थी एंग्जाइटी: मास्टर-ब्लास्टर ने कहा मैच से एक रात पहले सो नहीं पाते थे, इसे तैयारी का हिस्सा मान कर निकाला समाधान


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नई दिल्ली4 मिनट पहले

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सचिन ने बताया कि वे खुद को बिजी रखने के लिए चाय बनाते थे और कपड़ों को प्रेस भी किया करते थे।

भारत के दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्होंने अपने 24 साल के करियर में करीब 10 से 12 साल तक एंग्जाइटी का सामना किया था। उन्हें मैचों से पहले नींद नहीं आती थी और बेचैनी महसूस होती थी। सचिन ने यह खुलासा कोरोना के समय में खिलाड़ियों की मानसिक समस्या से जुड़े एक सवाल के जवाब में किया।

समस्या को स्वीकार करना उपचार की शुरुआत
सचिन ने कहा कि मैच से एक रात पहले नींद न आने की समस्या से वे पहले बहुत परेशान रहते थे। बाद में उन्होंने स्वीकार कर लिया कि यह उनकी मैच की तैयारी का एक हिस्सा है। इसके बाद जब उन्हें नींद नहीं आती थी या बेचैनी होती थी तो वे कोई दूसरा काम शुरू कर देते थे। सचिन ने कहा कि उन्होंने यह स्वीकार किया कि मैच की तैयारी शारीरिक होने के साथ-साथ मानसिक भी होती है। उनके लिए दिमाग में मैच ग्राउंड पर जाने से काफी पहले शुरू हो जाता था।

सचिन ने इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक जमाए। दुनिया में सबसे ज्यादा।

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शैडो बैटिंग, टीवी और वीडियो गेम का लिया सहारा
सचिन ने कहा कि मैच से एक रात पहले जब उन्हें नींद नहीं आती थी तो वे खुद को बिजी रखने के लिए शैडो बैटिंग करने लगते थे। कई बार टीवी देखकर या वीडियो गेम खेलकर भी खुद को व्यस्त रखा। कई बार सुबह की चाय बनाने और कपड़ों को आयरन करने से भी उन्हें खुद को शांत रखने में मदद मिलती थी।

स्कूली क्रिकेट से लेकर 200वें टेस्ट तक बरकरार रही एक अच्छी आदत
सचिन ने बताया कि स्कूली क्रिकेट के दिनों से ही मैच से एक दिन पहले अपना बैग तैयार कर लेते थे। उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने उन्हें यह सिखाया था। तब से लेकर 200वें टेस्ट मैच तक उन्होंने अपनी यह अच्छी आदत बरकरार रखी। 200वें टेस्ट सचिन के करियर का आखिरी टेस्ट मैच था।

उतार-चढ़ाव जीवन का हिस्सा
सचिन ने कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। इसलिए मानसिक स्वास्थ का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब आपको शारीरिक कष्ट होता है तो फीजियो या डॉक्टर देखते हैं और पता लगाते हैं कि क्या गड़बड़ है। इसी तरह मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखना चाहिए। जब आप गमगीन हों तो आपपास के लोगों की मदद की जरूरत पड़ती है। मानसिक दुख को स्वीकार करना बहुत जरूरी है। ऐसा सिर्फ खिलाड़ियों के लिए नहीं बल्कि खिलाड़ियों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी जरूरी है।

सचिन तेंदुलकर और सुरेश रैना बल्लेबाजी को लेकर बातचीत करते हुए। फाइल फोटो।

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अच्छी सलाह कोई भी दे सकता है
सचिन ने कहा कि एक बार वे अच्छी फॉर्म में नहीं थे। उस दौरान एक रेस्टोरेंट में डोसा खाने गए। जिस वेटर ने उन्हें डोसा दिया उसने उन्हें बताया कि आपका एल्बो गार्ड आपके बैट स्विंग को पूरा नहीं होने दे रहा है। सचिन ने गौर किया कि उसकी बात बिल्कुल सही है। उन्होंने इस समस्या को दूर किया और उनकी फॉर्म वापस आ गई। मास्टर-ब्लास्टर ने कहा कि जीवन में अच्छी और काम की सलाह कहीं से भी मिल सकती है।

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