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- Tokyo Olympic 70% Of Japan’s Population Against The Games, But Adamant On IOC Organizing; Japan Is Tied To The Agreement; Credit Risk
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लंदन6 मिनट पहले
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टोक्यो ओलिंपिक के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
टोक्यो ओलिंपिक 67 दिन दूर है और महामारी की वजह से खेलों को रद्द करने की मांग दिन-ब-दिन तेज होती जा रही है। जापान की 70% आबादी नहीं चाहती कि ओलिंपिक हो। लेकिन इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (आईओसी) इस पर अडिग है कि गेम्स होंंगे। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा पहली बार जनता की राय में झुकते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि सरकार ओलिंपिक को पहले नहीं रखेगी। लेकिन अंत में फैसला आईओसी के साथ होगा। जापान खेलों को रद्द करने की बात क्यों नहीं कर रहा है? ओलिंपिक को रद्द करने की ताकत किसके पास है? और क्या गेम्स रद्द होने की संभावना है? आइए जानते हैं…
इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी के पास है गेम्स रद्द करने का अधिकार
आईओसी और मेजबान शहर के बीच अनुबंध है। इसके तहत सिर्फ आईओसी ओलिंपिक को रद्द कर सकता है मेजबान नहीं। इंटरनेशनल स्पोर्ट्स लाॅयर एलेक्जेंड्रे मिगुएल मेस्त्रे के अनुसार, ओलिंपिक आईओसी की ‘एक्सक्लूसिव प्रॉपर्टी’ है। बतौर गेम्स मालिक आईओसी ही कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर सकता है। युद्ध या सिविल डिसऑर्डर की स्थिति में, जब आईओसी को लगता हो कि खिलाड़ियों को खतरा हो सकता है, तब गेम्स को रद्द कर सकता है। यकीनन, महामारी को ऐसे खतरे के रूप में देखा जा सकता है।
अप्रत्यक्ष खर्चों का बीमा नहीं, बड़ा नुकसान होगा
यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के प्रोफेसर जैक एंडरसन के अनुसार, अगर जापान एकतरफा अनुबंध खत्म करता है तो उसे बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ेगा। जापान और आईओसी की ब्रॉडकास्टिंग स्पॉन्सरशिप में अरबों रुपए की हिस्सेदारी है। एंडरसन ने कहा, ‘आईओसी, स्थानीय आयोजन समिति, ब्रॉडकास्टर और स्पॉन्सर के पास बीमा है।’ इंश्योरेंस आयोजकों के प्रमुख खर्चों को कवर करेगा। लेकिन यह अप्रत्यक्ष खर्चों को कवर नहीं करेगा। जैसे कि होटल्स और रेस्तरां आदि के खर्चे, या फिर टूरिस्ट को आकर्षित करने के लिए रिनोवेशन पर हुए खर्चे। देश के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर और टूरिज्म सेक्टर आदि को भी नुकसान होगा।
गेम्स को जापान के रिवाइवल के रूप में देखा जा रहा
ओलिंपिक रद्द करने से जापान की साख पर असर पड़ेगा। अगले साल विंटर ओलिंपिक है। ये गेम्स जापान का क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन आयोजित कर रहा है। एंडरसन ने कहा, ‘पिछली बार जापान ने 1964 में ओलिंपिक की मेजबानी की थी। तब गेम्स को दूसरे विश्व युद्ध के बाद देश की रिहैबिलिटेशन और रि-बिल्डिंग से जोड़कर देखा गया था। जापान में लंबे समय से आर्थिक ठहराव की स्थिति है। टोक्यो गेम्स को सुनामी-न्यूक्लियर डिजास्टर से उबर रहे जापान के रिवाइवल के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। बढ़ते विवाद के बावजूद कई ऑब्जर्वर इस बात को मानते हैं कि ओलिंपिक होगा। लेकिन किस आकार या रूप में, यह अभी स्पष्ट नहीं है।’