तोमर-सिंधिया में सियासी घमासान!: ग्वालियर की बैठक में शामिल हुए दोनों नेता; अफसरों को अलग-अलग निर्देश दिए, सोशल मीडिया पर एक-दूसरे का नाम लेने से भी परहेज

तोमर-सिंधिया में सियासी घमासान!: ग्वालियर की बैठक में शामिल हुए दोनों नेता; अफसरों को अलग-अलग निर्देश दिए, सोशल मीडिया पर एक-दूसरे का नाम लेने से भी परहेज


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मध्य प्रदेश5 मिनट पहले

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ग्वालियर में कोरोना समीक्षा ब�

मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी कराने में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बड़ी भूमिका रही है, मगर ग्वालियर-चंबल इलाके में सिंधिया की बढ़ती सक्रियता से सियासी घमासान के आसार बनने लगे हैं। इतना ही नहीं संकेत तो यह भी मिलने लगे हैं कि सिंधिया की केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दूरी खाई में बदलने लगी है। ग्वालियर की सियासत में बीजेपी के दो बड़े नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच दूरी बढ़ती नजर आ रही है। इसके संकेत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ग्वालियर में करोना महामारी को लेकर 16 मई को बुलाई गई क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रप की बैठक के बाद देखने को मिला। दोनों ही नेताओं ने अफसरों को अलग-अलग निर्देश दिए। जिसे सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया। बैठक के बाद सबसे पहले सिंधिया ने सोाशल मीडिया पर लिखा- काेरोना संक्रमण की समीक्षा बैठक में ग्वालियर संभाग में ऑक्सीजन, दवा व बेड की कमी काे लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टैग किया, लेकिन केंद्रीय मंत्री तोमर के नाम का उल्लेख नहीं किया।

इसके कुछ देर बाद ही केंद्रीय मंत्री तोमर ने सोशल मीडिया पर बैठक की फोटो शेयर की। उन्होंने भी लिखा- अफसरों को दिशा-निर्देश दिए गए। तोमर ने भी मुख्यमंत्री को टैग किया, लेकिन सिंधिया को नहीं। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया पर दोनों को टैग किया।

उप चुनाव में बढ़ने लगी थी दूरिया
बीजेपी सूत्रों के अनुसार सिंधिया और तोमर के बीच दूरियां बढ़ने की शुरूआत तो उपचुनाव के दौरान ही हो चली थी और नतीजे आने के बाद यह दूरी साफ नजर आने लगी थी। मुरैना शराब कांड ने साफ कर दिया है कि दोनों नेताओं के रिश्ते वैसे नहीं रहे जैसे पहले हुआ करते थे।
नई सियासी कहानी की ऐसे हुई सार्वजनिक
उपचुनाव के बाद इसी साल जनवरी में सिंधिया के ग्वालियर-चंबल इलाके का दौरा नई सियासी कहानी की शुरूआत हो गई थी। वे मुरैना के उन दो गांव में पहुंच गए थे, जहां जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। यह दोनों गांव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है। सिंधिया ने यहां पहुंचकर पीड़ितों का न केवल दर्द बांटा बल्कि प्रभावितों के परिवारों को अपनी तरफ से 50-50 हजार की आर्थिक सहायता भी दी थी। सिंधिया ने प्रभावितों के बीच पहुंचकर भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। साथ ही कहा कि वे लोगों के सुख में भले खड़े न हों लेकिन संकट के समय उनके साथ हैं।
बीजेपी का एक भी बड़ा नेता नजर नहीं आया था
सिंधिया के मुरैना और ग्वालियर प्रवास के दौरान भाजपा का कोई बड़ा नेता तो उनके साथ नजर नहीं आया था। बल्किन कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तमाम बड़े नेता जैसे राज्य सरकार के मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, सुरेश राठखेड़ा, ओपीएस भदौरिया आदि मौजूद रहे। संगठन से जुड़े लोग और मंत्री भारत सिंह कुशवाहा जो तोमर के करीबी माने जाते हैं उन्होंने सिंधिया के दौरे से दूरी बनाए रखी थी।
अगले ही दिन पहुंच गए थे तोमर
सिंधिया के दौरे के अगले दिन ही केंद्रीय मंत्री तोमर शराब कांड प्रभावित परिवारों के बीच पहुंचे और उनकी पीड़ा को सुना था। तोमर के इस प्रवास के दौरान सिंधिया का समर्थक कोई भी मंत्री नजर नहीं आया। उस समय तोमर ने कहा था- घटना वाले दिन मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की और मैं लगातार टेलीफोन पर संपर्क में रहा। जो भी दोषी है, उन पर कठोर कार्रवाई की जरूरत है।

प्रदेश अध्यक्ष ने दिया था सिंधिया को श्रेय
एक तरफ जहां सिंधिया और तोमर के बीच दूरी बढ़ रही है तो दूसरी ओर भोपाल में प्रदेश कार्यसमिति के पदाधिकारियों के आयोजित पदभार ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सिंधिया की खुलकर सराहना की थी। साथ ही उन्होंने राज्य में भाजपा की सरकार बनने का श्रेय भी सिंधिया को दिया था।

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