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- In Ujjain, SDM, Who Is Also Doing A Doctorate With The Officer, The Father Got Infected, Then The Family Members Stopped Going To The Hospital But Did Not Agree, The Angels Made For The Patients By Keeping Distance From The Family
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उज्जैनएक घंटा पहले
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कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में कुछ लोग आपदा में अवसर तलाश कर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे है तो कुछ ऐसे भी है जो एक मिसाल बनकर सामने आए है। बड़नगर के SDM डॉ योगेश बीते एक महीने से मरीजों के लिए दूत बनकर जीवन दान देने में जुटे है। वे ना सिर्फ SDM पद पर मिले दायित्वों का निर्वहन कर रहे है बल्कि 15 साल की डॉक्टरी का अनुभव भी अब मरीजों के काम आ रहा है। बडनगर SDM IAS डॉ योगेश भरसट अपनी दोहरी भूमिका निभा रहे है। प्रदेश के एक मात्र IAS अफसर है जो PPE किट पहनकर कोविड मरीजों का उपचार भी कर रहे है। दिन भर प्रशासनिक कार्यों को निपटाने के बाद रोजाना 60 से अधिक मरीजों को देखने सरकारी अस्पताल जाते है।
उज्जैन के पास तहसील बड़नगर के SDM योगेश भरसट IAS बनने से पहले डॉक्टर थे। उन्होंने नागपुर और मुम्बई के अस्पतालों में 15 साल तक अपनी सेवा दी है। सरकारी सेवा में आने के बाद वे बड़वानी और उमरिया में भी पदस्थ रहे। बीते एक साल से बड़नगर में SDM के रूप में पदस्थ है। बड़नगर में कोरोना की दूसरी लहर से मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत बड़नगर SDM डॉ योगेश भरसट ने पहले तो निजी अस्पतालों के साथ सामंजस्य स्थापित कर ऑक्सीजन बेड शुरू करवाएं।
इसके बाद गरीबों के लिए जनसहयोग से बड़नगर को कोविड-19 से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शासकीय अस्पताल के जीर्ण-शीर्ण भवन के स्थान पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय बस स्टैंड का चयन कर 65 बिस्तरों वाला सर्वसुविधा युक्त कोविड सेंटर बना दिया। कोरोना काल में एक अनूठी मिसाल कायम की। लगातार कोविड मरीजों की बढ़ रही संख्या और बड़नगर में स्वास्थ्य अमले की कमी को देखते हुए सुबह शाम कोरोना मरीजों का इलाज करने लगे। डॉ योगेश को अपने 15 साल के डॉक्टरी अनुभव काम आया और देखते ही देखते बड़ी संख्या में उन्होंने अपनी टीम खड़ी कर ली।
अधिकारी और डॉक्टर दोनों की ड्यूटी निभाना इतना आसान नहीं
डॉ योगेश बताते है कि दोनों जगह ड्यूटी कर रहा हूं। दिन में SDM और सुबह शाम डॉक्टर बनकर मरीजों की सेवा कर रहा हूं। भगवान ने ये मौका मुझे दिया है और इस सेवा के अवसर में पीछे नहीं हटना चाहता हूं। जब पिता कोरोना संक्रमित हो गए तब परिवार वालों ने कोरोना अस्पताल में मुझे जाने से मना किया लेकिन मैंने परिवार को समझाया और अब लगातार अस्पताल में सेवा दे रहा हूं। डॉ योगेश को इसके चलते कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। घर पर उनके बुजुर्ग माता पिता, पत्नी, एक साल का बेटा युग और दो साल की बेटी आराध्या रहते है। इसके चलते घर पर भी काफी सावधानी रखनी पड़ती है। दिन में तीन बार नहाना, परिवार में सभी से सोशल डिस्टेंस बनाए रखना पड़ता है।
शुरू होगा ऑक्सीजन प्लांट
सरकारी तंत्र और जनसहयोग से डॉ योगेश ने ऑक्सीजन कन्संट्रेटर मशीन, सीरियस मरीजों को रखने के लिए अलग व्यवस्था की। अब जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट भी शुरू होने वाला है। बड़ी बात यह है कि बीते एक महीने में देशभर में ऑक्सीजन की कमी रही लेकिन बड़नगर में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी। कोविड सेंटर में 8 डॉक्टरों की टीम के साथ 8 नर्सिंग स्टाफ व 3 वार्ड बॉय मौजूद रहते हैं। मरीजों को चाय, नाश्ता व भोजन निःशुल्क देने के साथ ही एपीएल और बीपीएल मरीजों को शासन द्वारा निर्धारित 30% शुल्क पर सेवा दी जाती है। सेंटर के समीप ही 20 बिस्तर वाला रिकवर सेंटर भी बनाया गया, जहां संक्रमण से रिकवर मरीजों को रखा जाता है। बताया जाता है कि बड़नगर आत्मनिर्भर कोविड सेंटर से अल्प समय में ही 200 से 250 संक्रमित मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं।
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