नकली रेमडेसिविर के सरगना सरबजीत मोखा का अब खुला कच्चा चिट्ठा, रसूख के कारण अब तक बचा रहा

नकली रेमडेसिविर के सरगना सरबजीत मोखा का अब खुला कच्चा चिट्ठा, रसूख के कारण अब तक बचा रहा


मोखा के जबलपुर में पेट्रोल पंप से लेकर अस्पताल तक कई धंधे चल रहे हैं.

Jabalpur. रसूख और पैसों के दम पर अब तक शासन-प्रशासन सब सरबजीत मोखा पर मेहरबान रहे. लेकिन अब नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन उसका सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

जबलपुर. नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir injection) मामले के सरगना मुख्य आरोपी जबलपुर के सिटी हॉस्पिटल मालिक सरबजीत सिंह मोखा पर जिला प्रशासन ने अपनी नजरें टेढ़ी कर ली हैं. जिन मामलों में अब तक सरबजीत प्रशासन की मेहरबानी के कारण बचा हुआ था अब उन मामलों में एक-एक कर शिकंजा कसा जा रहा है. एमपीआरडीसी की करोड़ों रुपये की 30 हज़ार वर्ग फुट से ज्यादा की जमीन पर तनी अमृत हाइट्स इमारत की जांच अब फास्ट ट्रेक कोर्ट करेगा. इसी से साथ नियम विरुद्ध तरीके से संचालित पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेज की जांच भी शुरू हो गई है. अरबों रुपये की संपत्ति का मालिक सरबजीत सिंह मोखा पेशे से तो बिल्डर है. लेकिन उसने न जाने कितने गोरखधंधे चला रखे थे. पेट्रोल पंप और अस्पताल सहित न जाने कितने धंधे वो कर रहा था. वो डकैती जैसे मामलों में भी आरोपी है लेकिन सबसे खौफनाक कोरोना मरीज़ों को नकली इंजेक्शन सप्लाई करने का रहा. रसूखदारों की कृपा अब तक जिला प्रशासन और बड़े रसूखदार राजनेताओं के साथ गल भैया करते हुए नजर आने वाले सरबजीत सिंह मोखा अब प्रशासन के साथ-साथ उन तमाम लोगों के लिए नर पिशाच बन गए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में सामने आए नकली रेमडेसिविर मामले में उसका नाम सामने आ गया. लेकिन इससे पहले यही सरबजीत सिंह मोखा जिला प्रशासन की नजरों में बड़ा दानवीर था. एमपीआरडीसी की सरकारी जमीन पर तने इसके अमृत हाइट्स की इमारत पर भी प्रशासन मेहरबान रहा. उसकी पहुंच इतनी ऊंची थी कि जिस तहसीलदार ने 10 साल पुराने इस विवादित नामांतरण को निरस्त कर सरबजीत सिंह मोखा के नाम का नामांतरण निरस्त किया उसका तबादला कर दिया गया था.फास्ट ट्रैक कोर्ट अब जब सरबजीत सिंह मोखा चारों ओर से घिर गया है तो जिला प्रशासन उनके इसी मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का निर्णय ले रही है. उस तहसीलदार प्रदीप मिश्रा का तबादला करने वाले कलेक्टर कर्मवीर शर्मा अब कहते हैं कि इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाएंगे. लेकिन आखिर नींद इतनी देर बाद क्यों खुली यह सबसे बड़ा विषय है. नर्सिंग और पैरा मेडिकल कॉलेज में धांधली
शिकंजा सिर्फ अमृत हाइट्स तक ही नहीं कसा जा रहा बल्कि हाल ही में सरबजीत सिंह मोखा के पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेज की भी शिकायत आई है. मोखा कई साल से इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग और इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल कॉलेज चला रहा है. दोनों कॉलेज सिटी अस्पताल आगा चौक की ट्रामा यूनिट की बिल्डिंग में हैं. यह तय मानकों और आवश्यक मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं. एक ही बिल्डिंग में ट्रामा यूनिट और पैरामेडिकल कॉलेज नहीं चलाए जा सकते. हर काम में भ्रष्टाचार जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची में इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग को जीएनएम कोर्स की 40 सीटें, बीएससी नर्सिंग की 60 सीट, पोस्ट बेसिक बीएससी की 20 सीट और एमएससी नर्सिंग की 25 सीटों की मान्यता मिली है. इसके लिए संस्थान के पास नियम अनुसार 23050 वर्ग फीट निर्मित एरिया होना चाहिए. इसी प्रकार इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल एंड रिसर्च को भी पैरामेडिकल काउंसिल ने मान्यता दी है. कॉलेज से मान्यता के लिए संस्था ने जो आवेदन काउंसिल को दिया उसमें कॉलेज की बिल्डिंग का एरिया 78060 वर्ग फीट और निर्मित एरिया 61440 वर्ग फीट बताया गया. इस प्रकार एक ही भवन में नर्सिंग कॉलेज का 23000 वर्ग फीट और निर्मित एरिया 61440 वर्ग निर्मित बताया गया है. समझ सकते हैं कि भ्रष्टाचार के आधार पर मान्यता अर्जित की गई और जिम्मेदारों ने भी आंख मूंदकर मान्यता दे दी अब इस मामले में भी जांच की जा रही है.

खेल खत्म रसूख और पैसों के दम पर अब तक शासन-प्रशासन सब मोखा पर मेहरबान रहे. लेकिन अब नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.







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