ब्लैक फंगस के खिलाफ MP में बनी टास्क फोर्स, जानिए कैसे रहना है आपको सावधान

ब्लैक फंगस के खिलाफ MP में बनी टास्क फोर्स, जानिए कैसे रहना है आपको सावधान


न्यूज़18 क्रिएटिव

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Cm of Madhya Pradesh) ने इस नए संक्रमण के प्रदेश में तेज़ी से फैलने को चिंताजनक बताते हुए हर ज़िले में इसकी जांच की व्यवस्था करने और प्राइवेट अस्पतालों को इस संक्रमण की रोकथाम की मुहिम में जोड़ने के निर्देश दिए.

भोपाल. ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए एमपी सरकार ने टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर ब्लैक फंगस यानी ‘म्यूकरमाइकोसिस’ के इलाज संबंधी व्यवस्थाओं के लिए बनी इस टास्क फोर्स में स्वास्थ्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के ए.सी.एस./पी.एस., ई.एन.टी. विशेषज्ञ डॉ. एस.पी. दुबे और डॉ. लोकेंद्र दवे को शामिल किया गया है. इस टास्क फोर्स ने तुरंत प्रभाव से काम भी शुरू कर दिया. इस सिलसिले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में ब्लैक फंगस को शुरू की स्टेज में ही पहचान कर इलाज किया जाना चाहिए. इस काम को जन आंदोलन का रूप दिया जाना ज़रूरी है और हर ज़िले में इसकी जांच की व्यवस्था हो. सीएम ने इस कार्य में निजी डॉक्टरों का सहयोग लिये जाने की बात भी कही. सीएम ने निर्देश दिए कि प्राइवेट अस्पताल भी चिन्हित किए जाएं, जहां इस बीमारी के इलाज की व्यवस्थाएं संभव हों।. ये भी पढ़ें : INDORE : कोरोना संक्रमण के मृतकों की अस्थियों को अब विसर्जन का इंतजार! ब्लैक फंगस : जानकारी और रोकथामप्रदेश में फिलहाल 5 मेडिकल कॉलेजों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर तथा रीवा में इसका नि:शुल्क इलाज किया जा रहा है. इस बीमारी के आंकड़े बहुत जल्दी चिंताजनक हो गए हैं, फिर भी इस रोग से बचना और इसका इलाज संभव है. इस रोग को लेकर हताश या परेशान होने से बेहतर है कि आप शांत रहें और इसके बारे में सही जानकारियां हासिल करें.

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न्यूज़ 18 ग्राफिक्स.

  • कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, डायबिटीज़ के रोगी, सांस या गुर्दा रोगी, अंग प्रत्यायोजित करवा चुके गंभीर रोगियों या पूर्व में कोरोना का इलाज करा चुके लोगों को यह संक्रमण मुख्य रूप से अपना शिकार बना रहा है.
  • यह संक्रमण रोगी की नाक, मुंह, दांत, आंख एवं गंभीर स्थिति में मस्तिष्क को संक्रमित कर सकता है.
  • मरीज़ों में डायबिटीज़ की मॉनीटरिंग करके, डॉक्टरों की सलाह पर स्टेरॉइड ले रहे मरीज़ों की निगरानी करके, स्टेरॉइड एवं ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक के गलत और ज़रूरत से ज़्यादा उपयोग को रोककर ब्लैक फंगस संक्रमण की रोकथाम संभव है.
  • कोरोना रोगियों में ऑक्सीजन के उपयोग के दौरान ह्यूमिडीफाई बॉटल में स्टेराइल (Sterile) या डिस्टिल्ड वॉटर का उपयोग करके तथा नियमित रूप से पानी को बदलकर, इस संक्रमण से बचा जा सकता है.

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  • रोगी के ऑक्सीजन मास्क, केनुला आदि को नियमित तौर पर साफ और डिसइन्फेक्ट किया जाना चाहिए.
  • कोविड वार्ड, एचडीयू, आईसीयू आदि में भर्ती कोरोना मरीज़ों की आंख, नाक, मुंह की ठीक से जांच और देखभाल होना चाहिए. कोविड से ठीक होने के बाद 4-6 सप्ताह तक नमक के पानी के गरारे करें तथा नाक साफ करते रहें.
  • नाक, मुंह आंख से काले कण अथवा काला रिसाव, नाक बंद होना, नाक के आसपास गालों की हड्डियों में दर्द, दांतों और जबड़ों में दर्द, आंख में दर्द के साथ धुंधला दिखना, आंखों और नाक के आसपास दर्द और लालपन, बुखार आना, शरीर में नील पड़ना, सीने में दर्द, सांस लेने में दर्द, फेफड़ों में पानी आना, खून की उल्टी होना, मुंह से बदबू आना आदि ब्लैक फंगस के मुख्य लक्षण हैं.
  • ब्लैक फंगस संक्रमण नाक के ज़रिये शरीर में प्रवेश करता है और धीरे-धीरे आंख और मस्तिष्क को प्रभावित करता है.
  • शुरू में इसकी पहचान करके उचित इलाज किया जा सकता है. घबराएं नहीं, लक्षण आने पर तुरंत डॉक्टरी सलाह लें और सही इलाज करवाएं.







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