Sagar News: अपने गांव या शहर के नाम को बताने में लोग गर्व महसूस करते हैं. पर, मध्य प्रदेश के सागर का एक गांव है, जिसका नाम लेने से पहले लोग शर्माते हैं या मुस्कुराकर जवाब देते हैं. यही नहीं, सुनने वाला भी दंग रह जाता है. सोचता, भला ये भी नाम हो सकता है. भारत को गांवों का देश कहा जाता है. यहां तमाम गांवों के नाम अजब-गजब हैं. लेकिन, सागर के इस गांव जैसा नाम शायद ही आपने सुना होग. यही वजह है कि लोगों ने अपने-अपने हिसाब से गांव के चार-पांच नाम रख लिए हैं.
नाम बदलने का दे चुके आवेदन
गांव का नाम बदलने के लिए ग्रामीणों ने कुछ समय पहले अभियान भी चलाया था. उन्होंने तहसीलदार, कलेक्टर और स्थानीय विधायक से मिलकर लिखित में आवेदन दिए. यहां तक कि प्रभारी मंत्री को भी इस संबंध में अवगत करा चुके हैं कि गांव का नाम बदलकर कुछ अच्छा रख दिया जाए. यहां बालाजी हनुमान का मंदिर है, उनके किसी नाम पर भी रखा जा सकता है. गांव के नारायण यादव बताते हैं कि भैंसा का नाम बदलना चाहिए. क्योंकि, अब बच्चे इसका नाम लेने से कतराते हैं. हम लोगों ने तो जैसे-तैसे करके समय निकाल लिया, इसके अलावा यहां समस्याएं भी बहुत हैं. हो सकता है, नाम बदल जाए तो समस्याएं भी सुधर जाएं.
लक्ष्मी नारायण पटेल बताते हैं कि वह 60 साल से यहां रह रहे हैं. पहले यहां 15-20 घर हुआ करते थे, लेकिन धीरे-धीरे बस्ती बढ़ती गई. फिर ग्राम पंचायत हो गई. पहले यहां नाका हुआ करता था, इसलिए इस गांव का नाम ‘भैंसा नाका’ भी है. सौरभ मिश्रा बताते हैं कि इस गांव के 10-15 मोहल्ले हो गए हैं. सबने अपने-अपने नाम रख लिए हैं. इससे अच्छा तो यह है कि इसका एक अच्छा नाम रखा जाए और सभी का एक ही नाम हो.
गांव वाले जो चाहेंगे वो होगा
इसको लेकर क्षेत्रीय विधायक प्रदीप लारिया का कहना है कि अगर गांव वाले चाह रहे हैं कि नाम बदल जाए तो वह इसे उचित फोरम पर रखेंगे. उनकी भावनाओं के अनुरूप जो भी सुझाव देंगे, उस पर विचार करेंगे. गांव का नाम पिछले कई सालों से चला आ रहा है. इस तरह नाम बदलने की प्रक्रिया भी लंबी होती है. फिर भी गांव वाले जो चाहेंगे, वह करेंगे.
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