अजब-गजब. आज हम आपको एक ऐसे जानवर की हैरान कर देने वाली कहानी बताने जा रहे हैं, जिसका नाम सुनते ही कुछ धर्मों में लोग नाक-भौं सिकोड़ लेते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं — ”सूअर” यानी वाइल्ड बोअर (जंगली सूअर) की, लेकिन इस जानवर के दांतों को लेकर जो राज है, वो सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे. जहां दुनिया में सोना, चांदी, हीरा और मोती की कीमत लाखों-करोड़ों में होती है, वहीं इस छोटे से जानवर के सिर्फ एक दांत की कीमत ही 30 से 35 लाख रुपये तक पहुंच जाती है.अब सवाल उठता है — आखिर ऐसा क्या है इन दांतों में? क्यों बिकते हैं इतने महंगे? क्या वाकई में ये चमत्कारिक होते हैं? तो चलिए इस रहस्यमयी कहानी को शुरू से समझते हैं.
असल में हम जिस दांत की बात कर रहे हैं, वो साधारण सूअर का दांत नहीं होता.ये दांत ”जंगली सूअर” यानी ”वाइल्ड बोअर” के होते हैं, और इसे अंग्रेजी में ”Boar Tusk” कहा जाता है. इन दांतों का आकार सामान्य दांतों से काफी बड़ा, मुड़ा हुआ और नुकीला होता है. इन्हें विशेषकर नर सूअर में देखा जाता है, जो लड़ाई और सुरक्षा के लिए इनका इस्तेमाल करता है, लेकिन दुनिया भर में इन दांतों की मांग इसलिए है क्योंकि इन्हें दुर्लभ चमत्कारिक माना जाता है. विशेषकर तंत्र-मंत्र, तावीज, टोना-टोटका, ज्योतिष और फेंगशुई जैसी परंपराओं में इनके दांतों को शुभ, भाग्यवर्धक और दुर्भाग्य दूर करने वाला माना जाता है. क्यों होते हैं इतने महंगे? सूअर के इन दांतों के महंगे होने के पीछे कुछ
खास कारण हैं:-
1. तंत्र-मंत्र और ओझा विद्या में उपयोग:
कई लोग मानते हैं कि इन दांतों में नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने की क्षमता होती है. इसलिए ओझा-तांत्रिक इनका इस्तेमाल तावीज और रक्षा कवच बनाने में करते हैं.
2. विदेशों में तस्करी:
विदेशों में खासकर इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और कुछ यूरोपीय देशों में सूअर के इन दांतों को लक्जरी आइटम, शौकिया कलेक्शन और कुछ जगहों पर जादुई प्रतीक के रूप में रखा जाता है. इसलिए इनकी अवैध तस्करी भी की जाती है.
3. फेंगशुई और वास्तु में मांग:
चीन और सिंगापुर जैसे देशों में फेंगशुई के जानकार इसे समृद्धि और धनवर्धक ऊर्जा का प्रतीक मानते हैं. ऐसी मान्यता है कि अगर इसे घर में सही दिशा में रखा जाए तो आर्थिक उन्नति होती है.
4. गहनों और सजावटी वस्तुओं में प्रयोग:
कुछ देशों में इन दांतों से गहने, लटकन और सजावटी चीजें भी बनाई जाती हैं. जिससे इनकी कीमत और भी बढ़ जाती है कानूनी स्थिति क्या है? भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत जंगली सूअर संरक्षित श्रेणी में आते हैं. बिना अनुमति इनके शिकार पर पूरी तरह से रोक है, लेकिन इसके बावजूद अवैध शिकार और तस्करी के मामले सामने आते रहते हैं.
क्या वाकई होते हैं चमत्कारी?
अब सवाल यही उठता है कि — क्या सच में इनमें कोई चमत्कारिक शक्ति होती है?. इसका जवाब पूरी तरह से वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं है. ज्यादातर मान्यताएं परंपरा, लोकविश्वास और तंत्र-मंत्र पर आधारित हैं. लेकिन लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि लाखों रुपए देकर भी लोग इन्हें खरीदने को तैयार रहते हैं. कुछ ओझा-तांत्रिक दावा करते हैं कि सूअर के दांत से बांधा गया ताबीज पहनने पर: नजर नहीं लगती दुश्मन पर विजय मिलती है व्यवसाय में लाभ होता है. कोर्ट-कचहरी के मामले जल्दी निपटते हैं रोग-शोक दूर रहते हैं.
हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण आज तक सामने नहीं आया है. सूअर के दांत का बाजार भले ही करोड़ों का हो, लेकिन अवैध शिकार और तस्करी कानूनन अपराध है.सरकार और वन विभाग लगातार इसकी रोकथाम के लिए सख्त कदम उठा रहे हैं.इसीलिए अगर कोई इसे खरीदने या बेचने का प्रयास करे, तो वो कानूनी कार्रवाई की जद में आ सकता है.