मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में एक गांव है, जिसका नाम सुनते ही बहुत से लोग या तो हँसी में फूट पड़ते हैं या शर्म से नजरें फेर लेते हैं. नाम है चट्टू बट्टू. अजीब है, लेकिन यही इसका असली नाम है और इसके पीछे छुपी कहानी है इतनी खूबसूरत कि जानकर कोई भी इस गांव को सम्मान की नजर से देखेगा.
खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा के अंतर्गत खालवा तहसील के जंगलों के बीच बसा है ये छोटा-सा गांव. माना जाता है कि कई दशक पहले यहां दो भाई – चट्टू और बट्टू रहा करते थे. दोनों ईमानदार, मेहनती और साहसी थे. अपने पशुओं और खेतों की रक्षा करते थे और गांव वालों के बीच उनका बहुत सम्मान था.
जब बस्ती बसी, तो नाम पड़ा ‘चट्टू बट्टू’
धीरे-धीरे उन भाइयों के परिवार और रिश्तेदारों की बस्ती बढ़ी. लोग उन्हें आदरपूर्वक ‘चट्टू बट्टू’ कहते और वही नाम पूरे क्षेत्र की पहचान बन गया. वक्त के साथ यही नाम राजस्व रिकॉर्ड, जनगणना, पंचायत भवन, राशन दुकान, सरकारी स्कूल और सभी दस्तावेज़ों में दर्ज हो गया.
यह गांव कोरकू आदिवासी समुदाय का गढ़ है, जहां पेड़, पहाड़, नदी और मिट्टी को देवता की तरह पूजा जाता है. आज भी यहां के लोग जंगलों पर निर्भर रहते हैं खेती, पशुपालन, और प्राकृतिक संसाधनों से जीवन यापन करते हैं.
लोग हँसते हैं, लेकिन गांव वाले गर्व करते हैं
सोशल मीडिया पर कई बार ये नाम वायरल हो चुका है. लोग चुटकुले बनाते हैं, लेकिन गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि “ये नाम हमें अपने पूर्वजों की मेहनत और भाईचारे की याद दिलाता है.” यहां हर त्योहार, लोकगीत और पूजा में वही भावना दिखती है जो आज के समाज में कहीं खोती जा रही है.