जय साढ़े 11 हनुमानजी! इस गांव की रक्षा करते हैं पवन पुत्र, अधूरी प्रतिमा की अनोखी कहानी

जय साढ़े 11 हनुमानजी! इस गांव की रक्षा करते हैं पवन पुत्र, अधूरी प्रतिमा की अनोखी कहानी


Khargone News: मध्य प्रदेश के खरगोन का चोली गांव दिखने में बहुत साधारण सा नजर आता है. न कोई शोर शराबा, न किसी प्रकार का हुड़दंग. यहां सभी समाजों के लोग मिलजुल कर एक साथ रहते हैं. एक दूसरे के सुख-दुख में सहभागी बनते हैं. लेकिन, यह गांव अपने भीतर कई ऐसे रहस्य समेटे हुए है, जिन्हें जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. उन्हीं में से एक है साढ़े ग्यारह हनुमान, जो इस पूरे गांव की रक्षा करते हैं.

साढ़े ग्यारह हनुमान किसी मंदिर का नाम नहीं है, ना ही किसी एक मंदिर में हनुमान जी की इतनी प्रतिमाएं हैं. बल्कि, इस गांव की चारों सीमाओं सहित गांव के भीतर अलग-अलग स्थानों पर हनुमानजी के 12 प्रमुख मंदिर हैं. जहां हनुमानजी के अलग-अलग रूपों में 12 प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं. लेकिन, इन 12 मंदिरों में एक मंदिर ऐसा है, जहां हनुमानजी की मूर्ति अधूरी है. लोग इसी अधूरी मूर्ति की पूजा करते हैं.

मिनी बंगाल कहलाता है गांव
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय से करीब 59 किलोमीटर दूर विंध्याचल पर्वत की तलहटी में बसा चोली गांव न सिर्फ धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बहुत ज्यादा महत्व रखता है. यह गांव देवों की नगरी देवगढ़ कहलाता है, मिनी बंगाल के नाम से भी प्रसिद्ध है. निमाड़ क्षेत्र में तंत्र विद्या का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है. ग्रामीण मानते हैं कि गांव की सुरक्षा स्वयं हनुमानजी करते हैं. आने वाले संकटों को हर लेते हैं.

मूर्तियों के निर्माण से जुड़ी मान्यता
ग्रामीण किशोर सिंह ठाकुर बताते हैं कि मान्यता के अनुसार, हनुमानजी की इन सभी मूर्तियों का निर्माण महाभारत काल में छह माह की रात्रि (सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच) में हुआ था, जब पांडव यहां से गुजरे थे, तब हनुमानजी की 12वीं मूर्ति तराशी जा रही थी. सुबह हो गई और मुर्गे की बांग के साथ काम रोक दिया गया. मूर्ति अधूरी ही रह गई. बाद में 11 पूर्ण और 1 अधूरी मूर्ति की पूजा होने लगी. हालांकि, पुरातत्व विभाग ने इस गांव की सभी मूर्तियों का निर्माण परमार काल में 9वीं-10वीं शताब्दी होना बताया है, जो पाषाण के पत्थर से निर्मित है.

कहां-कहां स्थापित है मंदिर
वर्तमान में हनुमानजी के 12 मंदिर गांव की सीमाओं और गांव के भीतर हैं. किशोर बताते हैं कि इनमें तीन मंदिर गांव के अंदर हैं, बाकी सभी मंदिर गांव की काकड़ (प्रवेश सीमा) पर स्थापित हैं. श्रद्धालुओं ने यहां मंदिरों का निर्माण करवा दिया है. यह मंदिर काकडेश्वर हनुमान, चोलेश्वर हनुमान, संकट मोचन हनुमान, महावीर हनुमान सहित अन्य नामों से जाने जाते हैं. सभी मंदिरों के पैदल दर्शन के लिए पूरा दिन भी कम पड़ जाता है.

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