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मुरैना के जौरा इलाके में 5 चीते कूनो नेशनल पार्क से निकलकर हाईवे पार करते दिखे, जिससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई है. वन विभाग GPS ट्रैकिंग और ड्रोन से निगरानी कर रहा है.
मुरैना में चीते दिखने से दहशत है.
हाइलाइट्स
- कूनो नेशनल पार्क से 5 चीते फरार हुए.
- ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग अलर्ट पर.
- GPS ट्रैकिंग और ड्रोन से निगरानी जारी.
मुरैना. जौरा इलाके में उस वक्त लोगों के होश उड़ गए जब उन्होंने अपने सामने जंगल के सबसे खतरनाक शिकारी – चीते – को सड़क पार करते देखा. ये कोई एक या दो नहीं, बल्कि पूरे 5 चीते थे जो कूनो नेशनल पार्क के बाड़े से निकलकर खुले जंगलों की ओर रुख कर चुके हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक वीडियो साफ दिखाता है कि कैसे ये चीते नेशनल हाईवे पार कर पगारा डैम की तरफ बढ़ रहे हैं. ये वीडियो न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि जंगल और इंसानों के बीच की दूरी को भी सवालों के घेरे में ला देता है.
दहशत में ग्रामीण, सतर्क वन विभाग
जौरा क्षेत्र के ग्रामीणों में इन चीतों को लेकर खासा डर का माहौल है. खेतों में काम करने वाले लोग अब सतर्क होकर निकल रहे हैं और बच्चों को भी घरों के अंदर ही रखने की सलाह दी जा रही है. वहीं, वन विभाग की टीम इन चीतों पर कड़ी निगरानी बनाए हुए है. GPS ट्रैकिंग, ड्रोन सर्विलांस और फॉरेस्ट गार्ड्स की तैनाती के जरिए लगातार यह कोशिश की जा रही है कि इन्हें फिर से सुरक्षित रूप से कूनो पार्क में लौटाया जा सके.
पीएम मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़े थे चीता
भारत में चीतों की वापसी एक ऐतिहासिक और महत्वाकांक्षी परियोजना रही है. 1952 में देश में चीते को आधिकारिक रूप से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. इसके बाद 70 सालों तक भारतीय धरती पर चीते केवल तस्वीरों और किताबों तक ही सीमित रहे. लेकिन सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीका से लाए गए 8 चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा, और यहीं से शुरू हुआ ‘प्रोजेक्ट चीता.’ कूनो को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां का भूगोल और जलवायु काफी हद तक नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से मिलती है, जहां से चीते लाए गए थे. इसके बाद धीरे-धीरे और चीतों को भी जोड़ा गया और उनका खुले जंगल में विचरण शुरू हुआ. चुनौतियाँ भी कम नहीं रहीं. कुछ चीते बीमारी, अनुकूलन की कमी और आपसी संघर्ष से मारे गए. कई चीते पार्क की सीमा तोड़कर रिहायशी इलाकों तक पहुंचने लगे, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा बढ़ गया. जीपीएस कॉलर की तकनीकी दिक्कतें, प्रशिक्षण की कमी और संसाधनों की सीमाएं भी बड़ी बाधाएं बनीं.
सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें
सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें