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MP Politics : मध्य प्रदेश कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने के लिए 55 जिलों में नए जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया तेज की है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने स्पष्ट किया कि बीजेपी से आए नेताओं…और पढ़ें
मध्य प्रदेश कांग्रेस में युवा नेताओं को अहम जिम्मेदारी मिलेगी.
हाइलाइट्स
- एमपी कांग्रेस ने 55 जिलों में नए अध्यक्षों की चयन प्रक्रिया तेज की.
- बीजेपी से आए नेताओं को कांग्रेस में शामिल नहीं किया जाएगा.
- युवा और ज़मीनी कार्यकर्ताओं को संगठन में तरजीह दी जाएगी.
भोपाल: विधानसभा चुनाव में हार के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस अब संगठनात्मक स्तर पर खुद को मजबूत करने में जुट गई है. प्रदेश की 55 जिलों में नए जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया तेज़ हो चुकी है. इसके लिए पार्टी ने करीब 250 पर्यवेक्षकों (ऑब्जर्वर्स) को मैदान में उतार दिया है. इस कवायद के जरिए कांग्रेस जमीनी स्तर पर नए चेहरों और सक्रिय कार्यकर्ताओं को तरजीह देना चाहती है. पार्टी ने तय किया है कि युवा और नए चेहरों को मौका देंगे लेकिन ‘दल-बदलुओं’ से दूरी बनाई जाएगी और खास तौर पर भाजपा से आने वालों को संगठन के पदों से दूर रखा जाएगा.
जीतू पटवारी का सख्त संदेश: निष्ठा पहले, पद बाद में
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा संकेत भी दिया है. उन्होंने साफ किया कि “बीजेपी से कांग्रेस में पिछले 5 साल में आए नेताओं को इस संगठनात्मक नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा.” उनका यह बयान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उस वर्ग को राहत देता है जो अक्सर शिकायत करता रहा है कि “दल-बदलुओं को ही ऊपर भेजा जा रहा है.” पटवारी का बयान एक सख्त संदेश भी है – संगठन में सिर्फ जीत के लिए आए नेताओं को नहीं, बल्कि लंबे समय से पार्टी के प्रति वफादार और ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को तवज्जो दी जाएगी.
संगठन में नए चेहरों की तलाश के पीछे कांग्रेस की स्पष्ट रणनीति है – वह स्थानीय, लोकप्रिय और मेहनती नेताओं को आगे लाकर जनता से सीधे जुड़ाव फिर से कायम करना चाहती है. सूत्रों के अनुसार, इस बार चयन प्रक्रिया में ब्लॉक स्तर पर सक्रियता, बूथ निर्माण में योगदान, सोशल मीडिया उपस्थिति और जन समर्थन जैसे बिंदुओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है. यह भी देखा जा रहा है कि किसी नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता या चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों का रिकॉर्ड तो नहीं है.
विपक्षी हमला और संभावित भीतरघात
हालांकि, भाजपा कांग्रेस की इस कवायद को “केवल दिखावा” बता रही है. भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस संगठन तभी मज़बूत हो सकती है जब उसमें शीर्ष नेतृत्व ठोस निर्णय ले और गुटबाज़ी खत्म हो. वहीं कांग्रेस के भीतर ही कुछ असंतुष्ट नेता इस निर्णय से नाराज़ बताए जा रहे हैं, खासकर वे जो हाल ही में भाजपा छोड़कर आए हैं और अब संगठन में तत्काल जगह की उम्मीद लगाए बैठे थे.
सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें
सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें