MP Politics : जिला कांग्रेस सम्मेलनों में संग्राम: ‘गद्दारों को बाहर करो’ के नारों से सियासी कलह

MP Politics : जिला कांग्रेस सम्मेलनों में संग्राम: ‘गद्दारों को बाहर करो’ के नारों से सियासी कलह


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Congress Politics : मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कार्यकर्ता बैठक में पूर्व विधायक सुनील जैन के आने पर हंगामा हुआ, जिससे पार्टी की अंदरूनी फूट उजागर हो गई. राहुल गांधी के संगठन सृजन अभियान को झटका लगा.

एमपी कांग्रेस के ऑब्जर्वर्स के सामने ही सम्‍मेलन में आए कार्यकर्ता झगड़ पड़े.

हाइलाइट्स

  • पूर्व विधायक सुनील जैन के आने पर कांग्रेस कार्यकर्ता भड़के.
  • कार्यकर्ता बैठक में ‘गद्दारों को बाहर करो’ के नारे लगे.
  • कांग्रेस की अंदरूनी फूट उजागर, संगठन सृजन अभियान को झटका.

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत सोमवार को देवरी विधानसभा में आयोजित कार्यकर्ता बैठक उस समय मैदान-ए-जंग बन गई, जब मंच पर पहुंचे पूर्व विधायक सुनील जैन को देखकर कार्यकर्ताओं का गुट भड़क उठा. “गद्दारों को बाहर करो” जैसे नारों ने न सिर्फ कार्यक्रम का उद्देश्य भुला दिया, बल्कि कांग्रेस की अंदरूनी फूट को खुले मंच पर ला खड़ा किया. यह एक उदाहरण है कि जब पार्टी भीतर से टूटी हो, तो कोई भी रणनीतिक मिशन ज़मीनी स्तर पर असर नहीं छोड़ पाता. कार्यक्रम का उद्देश्य था संगठन को मज़बूती देना और कार्यकर्ताओं से संवाद बनाना. लेकिन जैसे ही पूर्व विधायक सुनील जैन मंच पर आए, हर्ष यादव समर्थक गुट का आक्रोश फूट पड़ा. कार्यकर्ताओं ने मंच तक चढ़कर विरोध जताया, जिससे सम्मेलन का वातावरण पूरी तरह तनावपूर्ण हो गया.

यह घटना यह बताने के लिए काफी है कि कांग्रेस संगठनात्मक मजबूती के जितने भी प्रयास कर रही हो, पार्टी के अंदरूनी झगड़े उसकी सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं. कांग्रेस के संगठनात्मक प्रयास गंभीर हैं, लेकिन ज़मीनी कार्यकर्ताओं का गुस्सा और नेताओं की गुटबाज़ी पार्टी के लिए बड़ी बाधा बनती जा रही है. ‘गद्दारों को बाहर करो’ जैसे नारों से जो संदेश जनता तक गया, वो भाजपा के किसी चुनावी पोस्टर से भी तीखा है. अगर कांग्रेस अपने भीतर के ही ‘फॉल्ट लाइंस’ को नहीं सील कर पाई, तो विपक्ष की सबसे बड़ी उम्मीद खुद अपनी कमज़ोरियों से लड़ती रह जाएगी.राहुल गांधी ने 3 जून को भोपाल से इस अभियान की शुरुआत की थी. लगभग 240 पर्यवेक्षक जुटे हुए हैं, रिपोर्ट सीधे एआईसीसी को जाएगी. जातिगत समीकरणों से लेकर सामाजिक संतुलन तक—सभी बिंदुओं पर विचार होगा. लेकिन अगर हर जिले में देवरी जैसी स्थिति बनी रही, तो यह ‘सृजन’ जल्द ही ‘संकट’ में बदल सकता है.

संगठन सृजन बनाम सत्ता संघर्ष

  • कांग्रेस ने इस बार संगठन चुनाव को लेकर नई पहल की है
  • 55 जिलों में नए जिला और ब्लॉक अध्यक्ष बनाए जाएंगे
  • उम्र की सीमा हटा दी गई है; योग्यता ही मापदंड होगा
  • जो नेता 2023 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए थे, उन्हें फिलहाल संगठन में जगह नहीं मिलेगी
  • 5 साल की वफादारी के बाद ही ‘आयातित’ नेताओं पर विचार होगा

इन फैसलों का उद्देश्य था संगठन में ‘नए और वफादार खून’ को जगह देना. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पुराने मतभेद, गुटबाज़ी, और नेतृत्व की दावेदारी की राजनीति अभी भी पार्टी के हर जिलास्तर के सम्मेलन में दिखाई देती है.
सार्वजनिक छवि पर चोट: जिस समय विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा हो, उस वक्त खुद की बैठक में मारपीट और नारों से कांग्रेस की गंभीरता पर सवाल खड़े होते हैं.
पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर असर: जब मंच ही अस्थिर हो, तो ऑब्जर्वर कितना निष्पक्ष फीडबैक ले पाएंगे?
स्थानीय नेतृत्व का संकट: योग्यता आधारित चयन की बात तो है, लेकिन हकीकत में ‘किस गुट से हैं’—यह ज़्यादा अहम लग रहा है.
वोटर पर असर: युवा और मध्यम वर्ग का वोटर इन घटनाओं से दूर होता है. उन्हें पार्टी में नेतृत्व और दृष्टि दोनों की कमी नज़र आती है.

Sumit verma

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें

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