खंडवा. आज हम बात कर रहे हैं झाबुआ की उस खास पहचान की, जो अब सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मशहूर हो चुकी है. जी हां, हम बात कर रहे हैं कड़कनाथ मुर्गे की. यह कड़कनाथ मुर्गा अपने स्वाद, स्वास्थ्यवर्धक गुणों और खासियतों के कारण सबका दिल जीत चुका है. आदिवासी इलाकों में पैदा हुआ यह अनोखा पक्षी अब बड़े-बड़े होटलों और रेस्टोरेंट में भी अपनी खास जगह बना चुका है. कड़कनाथ की सबसे बड़ी खासियत इसका काला मांस होता है, जो प्रोटीन से भरपूर और कम कोलेस्ट्रॉल वाला होता है, लेकिन आज हम आपको इसका इतिहास नहीं, बल्कि इसे बनाने का असली और देसी तरीका बताएंगे जिससे इसका स्वाद दोगुना हो जाता है.
कड़कनाथ को बनाने से पहले आपको इसके कुछ खास मसालों और तैयारी पर ध्यान देना होगा, चूंकि इसका मांस थोड़ा टफ होता है, इसलिए इसे पकाने का तरीका थोड़ा खास होता है.
सामग्री (4 से 5 लोगों के लिए)
कड़कनाथ मुर्गा – 1 किलो (साफ किया हुआ और टुकड़ों में कटा हुआ)
सरसों का तेल – 4 बड़े चम्मच
प्याज – 4 बारीक कटे हुए
लहसुन – 10-12 कलियां (पेस्ट बना लें)
अदरक – 2 इंच टुकड़ा (पेस्ट बना लें)
टमाटर – 3 बारीक कटे हुए
दही – आधा कप (फेंटा हुआ)
हरी मिर्च – 3-4 (बारीक कटी हुई)
धनिया पाउडर – 2 चम्मच
जीरा पाउडर – 1 चम्मच
हल्दी पाउडर – आधा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर – स्वादानुसार
गरम मसाला – 1 चम्मच
नमक – स्वादानुसार
हरा धनिया – गार्निश के लिए सबसे जरूरी
बनाने की विधि
1. सबसे पहले एक मोटे तले की कड़ाही में सरसों का तेल गर्म करें.
2. तेल गर्म होते ही उसमें जीरा डालें। फिर उसमें बारीक कटा प्याज डालकर सुनहरा भूरा होने तक भूनें.
3. अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर अच्छी खुशबू आने तक भूनें.
4. फिर बारीक कटे टमाटर और हरी मिर्च डालें. इसे तब तक पकाएं जब तक मसाला तेल न छोड़ दे.
5. अब धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी और जीरा पाउडर डालकर 2-3 मिनट और भूनें.
6. अब मेरिनेट किया हुआ कड़कनाथ इसमें डालें और धीमी आंच पर करीब 10-15 मिनट तक पकाएं ताकि मांस थोड़ा सॉफ्ट हो जाए.
7. इसके बाद आधा कप पानी डालकर ढक्कन लगाकर 20-25 मिनट तक पकाएं. बीच-बीच में चलाते रहें.
8. जब मांस गल जाए तो आखिर में गरम मसाला डालकर 5 मिनट और पकाएं.
9. अंत में हरा धनिया डालकर गार्निश करें.
कड़कनाथ क्यों है इतना खास?
कड़कनाथ मुर्गा सिर्फ स्वाद ही नहीं, सेहत के लिए भी वरदान है. इसमें प्रोटीन की मात्रा सामान्य मुर्गे से ज्यादा और कोलेस्ट्रॉल बहुत कम होता है. यही कारण है कि हृदय रोगी भी इसे खा सकते हैं. इसमें आयरन, अमीनो एसिड और विटामिन बी का भी अच्छा स्रोत होता है.
झाबुआ से देश-दुनिया तक पहुंचा स्वाद
झाबुआ के आदिवासी इसे पीढ़ियों से पालते आ रहे हैं. सरकार भी इसकी ब्रीडिंग को बढ़ावा दे रही है. आज देशभर में कई लोग इससे लाखों कमा रहे हैं.