जब मौसम विभाग की भविष्यवाणियाँ गलत साबित हो जाती हैं और सैटेलाइट भी धोखा दे देते हैं, तब मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के गांवों में बैठे कुछ बुजुर्ग अपनी आंखों और अनुभव के दम पर बता देते हैं “आज बारिश होगी.” और यकीन मानिए, उनके कहने पर पूरा गांव अपने खेतों की ओर निकल पड़ता है.
ये बुजुर्ग ना कभी स्कूल गए, ना विज्ञान की कोई किताब पढ़ी. लेकिन जब वे कहते हैं “उत्तर से हवा आ रही है, अब पानी पक्का गिरेगा” तो गांव के लोग उन पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं. और फिर वही होता है.
बिना किसी मोबाइल ऐप, मौसम विभाग की रिपोर्ट या रडार के ये लोग केवल बादलों की बनावट, हवा की दिशा, मिट्टी की गंध, और पक्षियों के व्यवहार को देखकर मौसम का हाल बता देते हैं.
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यदि बादलों में हल्का नीला रंग हो और पश्चिम की हवा तेज चले, तो बारिश तय होती है. वहीं सुबह की ठंडी और भारी हवा बताती है कि दिन भर उमस बनी रहेगी. पक्षियों की उड़ान और जानवरों का व्यवहार भी इनके लिए इशारा होता है.
चौपाल की वेदना-पुस्तकें, जिनका ज्ञान इंटरनेट से परे है
गांवों की चौपालों पर बैठे ये बुजुर्ग अनुभव की ऐसी जिंदा किताबें हैं, जिनसे सुनकर आधुनिक मौसम विज्ञानी भी चौंक जाएं. चाय की चुस्की के साथ जब ये बताते हैं कि किस दिशा के बादल बारिश लाते हैं, तो वह सुनना किसी मौसम विज्ञान की क्लास से कम नहीं होता.
लव जोशी बताते हैं कि ये कोई चमत्कार नहीं, बल्कि सदियों का अभ्यास है. खेत में काम करते-करते, मौसम की हर बारीकी को महसूस कर इन बुजुर्गों ने एक ऐसा ज्ञान अर्जित किया है जो अब पीढ़ियों तक चल रहा है.
ये बताते हैं कि अगर बिजली की गूंज दूर से आए तो बरसात नहीं होगी, या अगर मिट्टी से एक खास किस्म की सोंधी गंध उठे तो बारिश का समय आ गया है.