Last Updated:
Agriculture News: खरगोन जिले में मानसून की पहली बारिश के बाद खरीफ फसलों की बुवाई तेज हो गई है, लेकिन किसान खरपतवार हटाने के दौरान दवा छिड़काव में कम पानी की गलती कर रहे हैं.
हाइलाइट्स
- किसान खरपतवार हटाने में कम पानी का उपयोग कर रहे हैं.
- कम पानी में दवा ज़हर बन जाती है और फसल को नुकसान पहुंचाती है.
- खरपतवार नाशक दवा का सही समय, मात्रा और तकनीक से छिड़काव करें.
खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में मानसून की पहली बारिश के साथ ही खेतों में हलचल तेज हो गई है. हालांकि, ज्यादातर किसानों ने खरीफ सीजन की बुवाई कर दी है. खासकर कपास, सोयाबीन, मक्का, मिर्च और अरहर जैसी फसलें इस समय खेतों में उगाई जा रही हैं, लेकिन बुवाई के साथ ही किसानों के सामने खरपतवार की बड़ी समस्या देखी जा रही है. कई किसान इसे हटाने के चक्कर में ऐसी गलती कर बैठते हैं जो उनकी मेहनत पर पानी फेर सकती है.
कम पानी से दवा बनती है ज़हर!
खरगोन के कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि खेत में अगर छोटी फसल है तो भी दवाइयों की पानी में मिलावट का निर्धारित मापदंड नहीं बदलना चाहिए. किसान कई बार सिर्फ 80 से 100 लीटर पानी में 500 एमएल दवा घोलते हैं, जबकि सही मात्रा प्रति एकड़ 200 लीटर पानी है. कम पानी में दवा ज़हर बन जाती है और फसल को नुकसान पहुंचाती है.
दवाइयों का छिड़काव करते समय यह भी ध्यान रखें कि दवा फसल पर कम से कम गिरे, सीधे खरपतवारों पर जाए. इससे फसल सुरक्षित रहती है और खरपतवार नष्ट हो जाते हैं. साथ ही खरपतवार नियंत्रण के समय का भी ध्यान रखें. सही समय वही होता है जब खेत में पर्याप्त नमी हो. सूखी जमीन में दवाइयां सही से काम नहीं कर पातीं. बारिश के बाद की नमी में छिड़काव करने से दवाइयों का असर अधिक होता है.
जल्दबाज़ी में न करें दवा छिड़काव
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि कई बार किसान बुवाई के तुरंत बाद या जल्दबाज़ी में दवाइयों का छिड़काव कर देते हैं. इससे न तो खरपतवार खत्म होते हैं और न ही फसल को लाभ मिलता है. छिड़काव का सही समय, सही मात्रा और सही तकनीक से करना जरूरी है. किसानो को इस बात पर भी गौर कहना चाहिए कि प्रत्येक खेत की स्थिति अलग होती है. इसलिए किसान किसी भी खरपतवार नाशक दवा के उपयोग से पहले कृषि विभाग या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.