कलेक्टरेट बाबू का बेटा बना देश का टॉप न्यूरोलॉजिस्ट, सतना को मिला गर्व का पल

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सतना के डॉ अनुराग ने एम्स की पीडियाट्रिक सुपरस्पेशलिटी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल किया है. उन्होनें जर्नी को साझा किया है

हाइलाइट्स

  • डॉ अनुराग ने एम्स की पीडियाट्रिक सुपरस्पेशलिटी परीक्षा में रैंक 1 हासिल की.
  • सतना के डॉ अनुराग की सफलता उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण है.
  • डॉ अनुराग अब एम्स दिल्ली में आगामी तीन वर्षों तक सेवाएं देंगे.

Success Story : सतना जिले के एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ अनुराग दिवाकर ने मेहनत और लगन से वो कर दिखाया जो कई युवाओं के लिए आज भी एक सपना जैसे है. केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1 सतना से पढ़ाई की शुरुआत करने वाले अनुराग ने पहले  एमबीबीएस एम्स भोपाल से और फिर एमडी एम्स जोधपुर से पूरी की. इसके बाद उन्होंने पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी की सुपरस्पेशलिटी परीक्षा दी जिसमें उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की. यह न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे सतना जिले के लिए गर्व का क्षण है.

संघर्ष से गुज़रा शुरुआती सफर 

डॉ अनुराग दिवाकर के पिता प्रदीप कुमार दिवाकर सतना कलेक्ट्रेट में अनुसूचित जनजाति विभाग में बाबू के पद पर कार्यरत हैं और माता आशा देवी गृहिणी हैं. अनुराग के परिवार की आर्थिक स्थिति औसत रही लेकिन शिक्षा को लेकर समर्पण असाधारण रहा. अनुराग बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे और हर कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करते रहे. उनके पिता बताते हैं कि जब उन्हें बेटे की पढ़ाई में रुचि का अंदाजा हुआ तो उन्होंने तय कर लिया था कि चाहे जो भी करना पड़े वे बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने देंगे. इसके लिए उन्होंने यह तक सोच लिया था कि ज़रूरत पड़ी तो घर की संपत्ति और पत्नी के जेवर तक बेच देंगे.

ड्यूटी में भी एग्जाम की तैयारी 

लोकल 18 से विशेष बातचीत में डॉ अनुराग ने बताया कि उन्होंने एमबीबीएस के दौरान ही तय कर लिया था कि वे पीडियाट्रिक्स में सुपरस्पेशलाइजेशन करेंगे. एमडी के दौरान उन्हें बच्चों के न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर को लेकर खास दिलचस्पी हुई और उन्होंने पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी में सुपरस्पेशलाइज करने का निर्णय लिया. इस कठिन परीक्षा की तैयारी उन्होंने एम्स जोधपुर में ड्यूटी के साथ-साथ की कभी 24 घंटे तो कभी 36 घंटे की ड्यूटी के बाद भी पढ़ाई के लिए समय निकालते रहे.

अनुराग की सफलता में उनके मामा का भी बड़ा योगदान रहा जिन्होंने समय-समय पर मार्गदर्शन और आर्थिक सहायता दी. अनुराग की एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई भी है, भाई वर्तमान में केजीएमयू लखनऊ से एमबीबीएस कर रहा है. मां आशा देवी बताती हैं कि तीनों भाई-बहन में बचपन से गहरा प्रेम रहा और सभी पढ़ाई में एक-दूसरे का साथ देते थे और साथ स्कूल जाते थे.

अब डॉ अनुराग दिवाकर एम्स दिल्ली में आगामी तीन वर्षों तक अपनी सेवाएं देंगे. लोकल 18 से बातचीत में अनुराग में बताया की वो एक दिन देश के शीर्ष पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट बनें और जरूरतमंद बच्चों के इलाज में योगदान दें. उनकी सफलता उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी बड़ा सपना देखते हैं.

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