अनुज गौतम, सागर: मानसून आते ही ठंडी बयार, शीतल रिमझिम और धरती पर हरी चादर बिछने जैसा एहसास होता है. खेतों से लेकर पहाड़ी ढलानों तक फैली रंगत और कलकल बहती नदियों का सुकून कुछ अलग ही मज़ा देता है. मगर जैसे ही बारिश बढ़ती है, वहीँ पीछे छूट जाता है अनाज के दर्जनों सवाल कीड़े, घुन, और नमी की मार की वजह से अगर सही प्रबंधन ना हो, तो एक सीज़न भर का फसल का संग्रह बर्बाद हो सकता है.
चूना पत्थर और नीम के पत्तों का चमत्कार
सबसे पहले एक बड़ा सूखा बर्तन, स्टील की टंकी, प्लास्टिक का ड्रम या बॉक्स लें
चूना पत्थर को कपड़े में लपेटकर वही फैब्रिक बैग बनाएं.
ढक्कन कसकर बंद करके हवा-नमी से सुरक्षित पैक करें.
आकाश चौरसिया का जैविक उपाय
यह उपाय आकाश चौरसिया नामक जैविक कृषि विशेषज्ञ करते आ रहे हैं, जो सागर (मध्य प्रदेश) में 100 से अधिक विलुप्तप्राय अनाज संरक्षण के लिए इस फार्मूले को अपना रहे हैं. आकाश कहते हैं कि इस तकनीक से उन्होंने बीजों की तासीर बचाई है और कीटों को भी सालों तक दूर रखा है.
चूना पत्थर: स्वाभाविक नमी सोखने में मदद करता है “ह्यूमिडिटी कंट्रोल”
नीम की पत्तियाँ: प्राकृतिक कीटनाशक कीड़ों को दूर भगा देती हैं
कपड़े में पोटलियाँ: नमी और कीड़े सीधे अनाज के संपर्क में आने से रोकती हैं