मध्यप्रदेश के जबलपुर में इन दिनों 500 और 200 रुपए के नकली नोटों का चलन तेजी से बढ़ रहा है. बाजारों में व्यापारी और ग्राहक दोनों ही सतर्क हो गए हैं. ग्राहक पैसे लेते वक्त नोट को बार-बार पलट-पलट कर देख रहे हैं और डर भी जायज़ है, क्योंकि नकली नोट की चपेट में कोई भी आ सकता है.
नकली और असली नोट में क्या होता है फर्क?
एडिशनल एसपी क्राइम और साइबर, समर वर्मा ने बताया कि नकली और असली नोट में कई सूक्ष्म लेकिन स्पष्ट अंतर होते हैं. अगर ग्राहक इन संकेतों को जान लें, तो नकली नोट की पहचान आसान हो सकती है.
वॉटरमार्क: असली नोट में महात्मा गांधी और वैल्यू डिजिट का वॉटरमार्क प्रकाश में साफ नजर आता है.
सीरियल नंबर: हर असली नोट का सीरियल नंबर यूनिक होता है, और इसकी प्रिंटिंग परफेक्ट होती है.
माइक्रोलेटरिंग: छोटे अक्षरों में ‘RBI’ और ‘भारत’ लिखा होता है जिसे लेंस से देखा जा सकता है.
कलर इंक: असली नोट में विशेष स्याही का प्रयोग होता है जो चमकदार होती है.
एसपी समर वर्मा की सलाह है कि नकली नोट देने वाले अक्सर भीड़ या जल्दी का फायदा उठाकर जालसाजी करते हैं. अगर कोई नोट संदिग्ध लगे, तो बैंक या पुलिस थाने में जांच कराएं.
प्रशासन सतर्क, पर जनता को भी होना होगा जागरूक
पुलिस की टीम फिलहाल शहर के प्रमुख बाजारों, पेट्रोल पंपों, और ट्रांजैक्शन-हेवी ज़ोन में निगरानी बढ़ा रही है. लेकिन जब तक आम लोग सावधान नहीं होंगे, इस खतरे को रोका नहीं जा सकता.