छतरपुर: जहां लोग घरों को आधुनिक सुख-सुविधाओं से सजाने में लगे हैं, वहीं छतरपुर के महाराजपुर में रहने वाले वकील अशोक चौरसिया ने अपने घर को हरियाली के आश्रम में बदल दिया है. पेशे से वकील होने के बावजूद उनका असली जुनून है पेड़ लगाना, और धरती को सांस देने लायक बनाना.
अशोक बताते हैं कि पहले मैं भी सिर्फ पैसा कमाने और घर-गाड़ी जुटाने में लगा हुआ था. लेकिन एक दिन अहसास हुआ कि घर में फूल भी बाजार से खरीदने पड़ रहे हैं. मोहल्ले में हरियाली का नामोनिशान नहीं था. यहीं से शुरू हुआ मेरा पौधारोपण का सफर.
आज उनके घर की छत से लेकर बालकनी और आंगन तक 100 से ज्यादा गमले, औषधीय, फलदार और फूलों से भरे हैं. यहां तक कि घर के बगल की खाली जमीन को भी घर बनाने की बजाय बगीचे के लिए समर्पित कर दिया.
अशोक बाजार से खाद नहीं खरीदते, बल्कि नीम, सरसों की खली और सूखी पत्तियों से खुद जैविक खाद बनाते हैं. गर्मियों में जब बोरिंग सूख जाती है, तो पैसे से टैंकर का पानी खरीदते हैं और उसी से अपने पौधों की सेवा करते हैं.
हर पौधे की है खास पहचान
वे हर शहर से खास किस्म के पौधे लाते हैं, जैसे – एलोवेरा, गुड़हल, आम, गन्ना, और भी कई जो बाजारों में दुर्लभ हैं. यह गार्डन न सिर्फ देखने में खूबसूरत है, बल्कि औषधीय और धार्मिक उपयोग के लिए भी बेहद उपयोगी है.
अशोक के पास जो भी पौधा मांगने आता है, उसे वो बिना एक भी सवाल किए मुफ्त में पौधा दे देते हैं. सुबह-सुबह लोग उनके बगीचे से फूल तोड़कर पूजा के लिए ले जाते हैं. उनका मानना है कि “इनकी सेवा में जो सुकून मिलता है, वह किसी भी मुकदमे की जीत से बड़ा है.”