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Ullu Dikhne Ka Matlab: छतरपुर में उल्लू पक्षी को लेकर अजीब मान्यता है. गांववाले तो इस मान्यता से जुड़ी सच्ची घटनाएं भी बता रहे हैं. यहां पढ़िए पूरी खबर…
हाइलाइट्स
- छतरपुर में उल्लू को यमदूत पक्षी माना जाता है
- उल्लू की आवाज सुनने पर अनहोनी की आशंका होती है
- उल्लू की उपस्थिति को अशुभ संकेत माना जाता है
Chhatarpur News: वैसे तो सनातन धर्म में उल्लू पक्षी को मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है. वहीं, इसके नाखून, पंख और खुद उल्लू का प्रयोग तांत्रिक पूजा में करने की बातें भी प्रचलित हैं. लेकिन, छतरपुर में इस पक्षी को लेकर अजीब मान्यता सामने आई है. यहां उल्लू को यमदूत पक्षी कहा जाता है. जिले में मान्यता है कि अगर उल्लू किसी के घर में बैठकर आवाजें निकालने लगे, तो इसका मतलब उस घर में कोई अनहोनी होने वाली है.
गोरे पाल बताते हैं कि छतरपुर में आज भी अगर कहीं उल्लू दिख जाए, तो उसे अशुभ माना जाता है. हमारे गांव की भाषा में इसे अरुआ भी कहते हैं. उल्लू को आमतौर पर खेत या जंगल में देखा जाता है, बस्ती में कम ही दिखता है. लेकिन, अगर आ गया तो कुछ न कुछ बुरी खबर ही लेकर आता है. इसलिए इसको यमदूत पक्षी भी कहा जाता है.
डरावना होता है ये पक्षी
कमलेश सोनी बताते हैं कि उल्लू पक्षी बहुत ही डरावना होता है. इसे देखकर ही डर लगता है. बच्चे तो इसे देखकर रोने लगते हैं. यह पक्षी कई बार भूतों जैसी आवाजें भी निकालता है. जिसे सुनकर बुजुर्ग भी डर जाते हैं. यह बच्चों की आवाजें भी निकालता है और उनके जैसा रोता भी है.
गोरे पाल बताते हैं कि ऐसा माना जाता है कि अगर उल्लू किसी के घर में देर तक बैठ जाए या उसके आसपास ही बैठकर बोलने लगे, तो कुछ ही घंटों बाद उस घर में अशुभ खबर सुनने को मिलती है.
पड़ोस के घर में बैठा था
कमलेश बताते हैं कि हमारे पड़ोस में रहने वाले परिवार के साथ ऐसा हुआ था. उनके घर के द्वार पर पीपल का पेड़ था. आज भी वह पीपल का पेड़ है. उस पेड़ पर उल्लू सुबह से लेकर दोपहर तक बैठा रहा. शाम को खबर आई कि अस्पताल में भर्ती चाचाजी का निधन हो गया. गोरे पाल बताते हैं कि आज भी अगर उल्लू किसी घर में बैठ जाए, तो अशुभ संदेश ही मिलता है. हमने गांव में ऐसे कई केस हो चुके हैं.