योग दिवस: भिंड के अटेर दुर्ग पर बच्चों ने किया योगाभ्यास, खुशी से भर देंगी ये फोटोज

योग दिवस: भिंड के अटेर दुर्ग पर बच्चों ने किया योगाभ्यास, खुशी से भर देंगी ये फोटोज


Last Updated:

भिंड: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से ठीक एक दिन पहले, भिंड जिले के ऐतिहासिक अटेर दुर्ग पर एक विशेष योग सत्र का आयोजन किया गया. खेल प्रशिक्षक राधे गोपाल यादव के मार्गदर्शन में बड़ी संख्या में बालक-बालिकाओं ने सामूहिक योगाभ्यास किया. इसका उद्देश्य भिंड और चंबल क्षेत्र को सकारात्मक रूप से विश्व पटल पर पहचान दिलाना था. कार्यक्रम में दिल्ली के कृषि मंत्रालय से श्रीमती कंचन चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं. उन्होंने बच्चों को योग का महत्व समझाते हुए कहा कि योग केवल आसन नहीं, बल्कि जीवन जीने की पद्धति है जो व्यक्तित्व विकास में सहायक है. किशोरी स्पोर्ट्स क्लब के संचालक राधे गोपाल यादव ने बच्चों को अच्छी शिक्षा, व्यवहार और कला, खेल व पर्यटन जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए योग अपनाने का संदेश दिया. कार्यक्रम में योग गीत की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया. यह आयोजन भिंड को एक नई सकारात्मक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से एक दिन पहले भिंड के प्रमुख पर्यटन स्थल अटेर दुर्ग पर योग सत्र आयोजित हुआ. 

21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए चुना गया क्योंकि यह ग्रीष्म संक्रांति है, जो उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और यह दिन कई संस्कृतियों में महत्वपूर्ण है.

साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया था. संयुक्त राष्ट्र ने महासभा के 69वें सत्र के दौरान 11 दिसंबर 2014 को एक प्रस्ताव पारित किया था.

खेल प्रशिक्षक राधे गोपाल यादव के दिशा-निर्देशन में सामूहिक योगाभ्यास किया गया.इसका उद्देश्य भिंड जिले को भारत और विश्व पटल पर सकारात्मक पहचान दिलाना है.

इस दौरान मुख्य अतिथि कृषि मंत्रालय, दिल्ली से श्रीमती कंचन चौहान उपस्थित थीं, उन्‍होंने योग को जीवन जीने की पद्धति बताया और व्यक्तित्व विकास में इसके महत्व पर जोर दिया.

राधे गोपाल यादव ने कहा कि बच्चों को अपनी मातृभूमि का ऋण चुकाने और विभिन्न क्षेत्रों में निपुणता हासिल करने के लिए योग अपनाएं.

योग के जरिए युवाओं को अपना लक्ष्य बनाना चाहिए ताकि शारीरिक शिक्षा, खेल, जैविक खेती, पर्यटन और कला को विश्व पटल पर पहचान दिलाई जा सके.

योग के माध्यम से ऊर्जा का सदुपयोग कर युवा सकारात्‍मक गतिविधियों से जुड़कर अपना विकास कर सकते हैं.

योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि द्वारा ‘योग सूत्र’ की रचना की. महर्षि पतंजलि को योग का जनक यानी पिता माना जाता है. योग को भारत में करीब 26,000 साल पहले की देन माना जाता है.

महर्षि पतंजलि ने योग को आठ भागों (नियमों) में बांटा है जिसे अष्टांग योग कहते हैं. महर्षि पतंजलि ने योग को आठ भागों (नियमों) में बांटा है जिसे अष्टांग योग कहते हैं.

homemadhya-pradesh

योग दिवस: अटेर दुर्ग पर बच्चों ने किया योगाभ्यास, खुशी से भर देंगी ये Photos



Source link