खंडवा. मध्य प्रदेश की धरती हमेशा से वीरों, बलिदानियों और जनसेवकों की कर्मभूमि रही है लेकिन जब भी आजादी के दीवानों और सच्चे जननायकों की बात होती है, तो खंडवा का एक नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. पद्मभूषण पंडित भगवंतराव मंडलोई, एक ऐसा नाम, जिसकी आवाज पर जनता आंख मूंदकर भरोसा करती थी. यह वही नेता थे, जिन्होंने न सिर्फ आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई बल्कि जेल की सलाखों में रहते हुए भी चुनाव जीतकर इतिहास रचा.
गांधीवादी आंदोलनों में अग्रणी भूमिका
भगवंतराव मंडलोई ने असहयोग आंदोलन, सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह कई बार जेल भी गए और जेल यात्रा को उन्होंने अपने जीवन का सम्मान माना. 1942 में जब वह जेल में थे, तब भी खंडवा की जनता ने उनपर इतना विश्वास जताया कि जेल में रहते हुए ही उन्हें नगरपालिका का अध्यक्ष चुन लिया. यह उनकी अद्भुत लोकप्रियता और जनता के प्रति उनकी निष्ठा का सबसे बड़ा प्रमाण था.
देश को आजादी मिलने के बाद जब संविधान निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई, तो पूरे मध्य भारत से जिन चंद लोगों को इस समिति में चुना गया, उनमें भगवंतराव मंडलोई भी शामिल थे. यह खंडवा और निमाड़ क्षेत्र के लिए गर्व की बात थी कि उनका प्रतिनिधि देश के सबसे बड़े दस्तावेज के निर्माण में भागीदार बना.
1947 से 1956 तक खंडवा तत्कालीन सीपी एंड बरार प्रांत का हिस्सा था. इस दौरान भगवंतराव मंडलोई मंत्री पद पर रहे और प्रदेश की राजनीति में लगातार सक्रिय रहे. 1956 में जब नया मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया, तो उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद 1962 में वह पूरे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और अपने सादगीपूर्ण और ईमानदार प्रशासन से जनता के दिलों पर राज किया.
परिवार की राजनीतिक विरासत
भगवंतराव मंडलोई का परिवार भी समाजसेवा में पीछे नहीं रहा. उनके बड़े बेटे रामकृष्ण राव मंडलोई जिला परिषद (तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट काउंसिल) के अध्यक्ष रहे. उनके दूसरे बेटे लक्ष्मण राव मंडलोई पार्षद और एल्डरमैन बने. तीसरे बेटे रघुनाथ राव मंडलोई जनपद अध्यक्ष, मंडी अध्यक्ष और विधायक बने. उनके परिवार की महिला सदस्य नंदा मंडलोई ने भी 1985 से 1990 तक खंडवा से विधायक के रूप में जनता की सेवा की.
इतनी बड़ी राजनीतिक विरासत होने के बावजूद आज भगवंतराव मंडलोई का परिवार सक्रिय राजनीति से दूर है. उनका नाम आज भी खंडवा और निमाड़ क्षेत्र में जनसेवा और ईमानदारी की मिसाल के रूप में लिया जाता है, वह एक ऐसे नेता थे, जिनकी लोकप्रियता और सच्चाई ने जनता का दिल जीता और वह जेल की चारदीवारी में रहते हुए भी चुनाव जीतने में सफल रहे.
भगवंतराव मंडलोई की कहानी सिर्फ एक नेता की कहानी नहीं बल्कि यह कहानी है एक सच्चे जननायक की, जिसने अपना पूरा जीवन जनता की सेवा और देश की आजादी को समर्पित कर दिया. उनके जैसा जन सेवक विरले ही देखने को मिलता है. उनकी अनोखी यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.