चमत्कार या रहस्य! उज्जैन में जब छाया ने छोड़ दिया साथ, कुछ देर के लिए खड़े के खड़े रह गए लोग, जानें क्या हुआ

चमत्कार या रहस्य! उज्जैन में जब छाया ने छोड़ दिया साथ, कुछ देर के लिए खड़े के खड़े रह गए लोग, जानें क्या हुआ


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Ujjain News: उज्जैन की 300 साल पुरानी वेधशाला में 21 जून कोखगोलीय घटना हुआ, जिससे कुछ देर के लिए वस्तुओं की परछाई गायब हो गई. खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए यह अनुभव रोमांचकारी और दुर्लभ था.

हाइलाइट्स

  • उज्जैन में 300 साल पुरानी वेधशाला में खगोलीय घटना देखी गई.
  • 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत हुआ, जिससे परछाई गायब हो गई.
  • उज्जैन के लोग और पर्यटक इस दुर्लभ खगोलीय घटना के साक्षी बने.

उज्जैन. बाबा महाकाल की नगरी मे एक वेधशाला है, जहा खोगोलिक गणना का केंद्र माना जाता है. अधिकांश लोग जिस स्थान को ‘यंत्र-महल’ के नाम से जानते हैं. वह वेधशाला उज्जैन के दक्षिण में शिप्रा नदी के दक्षिण तट के उन्नत भू-भाग पर स्थित है, जो चिंतामन रोड पर है.पुरातन काल में उज्जैन ज्योतिष-विद्या का प्रमुख केंद्र स्थल रहा है, जिसे देखने देश विदेश के पर्यटक उज्जैन आते है. कभी दुनिया का समय यहां से तय होता था.

21 जून शनिवार की तारीख एक अनूठी खगोलीय घटना लेकर हुईं. दोपहर 12.28 बजे सूर्य ठीक कर्क रेखा पर लंबवत हुआ, जिससे कुछ समय के लिए वस्तुओं की परछाई गायब हो गईं. इसे शून्य छाया दिवस कहा जाता है. सामान्‍य बोलचाल में यह भी कहा जाता है कि परछाई ने साथ छोड़ दिया. यह सुनने में जितना रोचक लगता है, अनुभव करने में उतना ही रोमांचक भी,

शंकु यंत्र के माध्यम से दिखी खगोलीय घटना
उज्जैन, कर्करेखा के समीप स्थित है, ऐसे में वो दुर्लभ खगोलीय क्षणों का प्रत्यक्ष साक्षी बना. जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि खगोलीय घटना को वेधशाला में शंकु यंत्र के माध्यम से देखा जा सकेगा, बशर्ते आकाश में धूप हो. आज यह नज़ारा देखा गया.

आज दिन सबसे बड़ा और रात सबसे छोटी

21 जून को दिन सबसे बड़ा और रात सबसे छोटी होगी. सूर्योदय सुबह 5.42 बजे और सूर्यास्त शाम 7.16 बजे होगा. यानी दिन की अवधि 13 घंटे 34 मिनट और रात 10 घंटे 26 मिनट की होगी. 21 जून के बाद सूर्य दक्षिण की ओर गति करने लगेगा. यानी इसके बाद दिन छोटे और रातें लंबी होने लगेगी.

उज्जैन के लोग बने साक्षी
उज्जैन की रहने वाली भागयश्री काले नें लोकल 18 को बताया कि आज हम वैधशाला घूमने आए थे. हमने देखा कि आज परछाई नें अपनी जगह छोड़ दी. एक यन्त्र के माध्यम से परछाई शून्य देखी गईं. हमें यह खगोलीय घटना देख कर बहुत अच्छा लगा.

क्या है शंकु यंत्र?
शंख यंत्र यहां स्थित एक यंत्र है जो क्षितिज वृत्त के तल में बना है, जिसकी छाया से सात रेखाएं खींची गई हैं.जो 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करता है. ये रेखाएं 22 जून को सबसे बड़ा दिन, 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन और 21 मार्च और 23 सितंबर को बराबर दिन और रात दर्शाती हैं. बता दें कि यहां बनने वाली शंकु की छाया दिन की अवधि बढ़ने या घटने के साथ घटती-बढ़ती रहती है

क्या है वेधशाला का प्राचीन इतिहास?
इस वेधशाला को जयपुर के महाराजा जयसिंह ने 300 साल पहले 1733 ईस्वी में बनवाया था.जैसा कि भारत के खगोलशास्त्री तथा भूगोलवेत्ता यह मानते आये हैं कि देशांतर रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है. यहां के प्रेक्षाग्रह का भी विशेष महत्व रहा है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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उज्जैन में जब छाया ने छोड़ दिया साथ, कुछ देर के लिए खड़े के खड़े रह गए लोग



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