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Pusa Arhar Variety for Kharif Season: 120 दिनों में तैयार होने वाली पूसा अरहर 16 अब किसानों की पहली पसंद बन रही है. जानिए इसके फायदे, उत्पादन क्षमता और कैसे लें बीज का लाभ.
हाइलाइट्स
- पूसा अरहर 16 किस्म 120 दिनों में तैयार होती है.
- यह किस्म 14-16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है.
- किसानों को बीज अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया जाएगा.
अनुज गौतम, सागर: कृषि के क्षेत्र में एक और क्रांतिकारी कदम सामने आया है, इस बार अरहर की नई किस्म पूसा अरहर 16 ने किसानों की उम्मीदों को नई उड़ान दी है. भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, दिल्ली द्वारा विकसित यह किस्म केवल 120 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है, जबकि पारंपरिक अरहर की फसल को तैयार होने में 180 से 200 दिन लगते हैं.
कम समय, ज्यादा मुनाफा
पूसा अरहर 16 की खास बात यह है कि यह कम अवधि में पकने के बावजूद औसतन 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है, जबकि पारंपरिक किस्में 12 से 14 क्विंटल तक ही सीमित रहती हैं.
जुलाई में करें बुवाई, नवंबर तक फसल तैयार
जुलाई का पहला सप्ताह इस किस्म की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय है. यदि किसान इस अवधि में बीज बोते हैं, तो नवंबर तक फसल की कटाई कर सकते हैं. यही कारण है कि यह किस्म फसल विविधिकरण और बेहतर कृषि प्रबंधन के लिए आदर्श मानी जा रही है.
राज्य सरकार और कृषि विभाग ने इस किस्म को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बीज भी अनुदानित दर पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है. किसान अपने नजदीकी कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर बीज प्राप्त कर सकते हैं.