प्रदेश में अब अस्पतालों में पैदा होने वाले बेटे-बेटी के जन्म प्रमाण पत्र के लिए लोगों को भटकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए अस्पताल क्षेत्र में स्थित नगरीय निकाय या पंचायत में जन्म प्रमाण पत्र के लिए ज्यादा इंतजार करने से राहत मिलेगी। सरकार ने तय किया है कि
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प्रदेश के सभी कलेक्टर और अतिरिक्त मुख्य रजिस्ट्रार को भेजे पत्र में आयुक्त आर्थिक सांख्यिकी और मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) ने कहा है कि अस्पताल में मां को छुट्टी देने से पहले जन्म लेने वाले बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाना है। जन्म प्रमाण पत्र के बढ़ते महत्व को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि नवजात शिशु की मां को अस्पताल में प्रसव के बाद छुट्टी मिलने से पहले ही जन्म प्रमाण पत्र दे दिया जाए।
खासतौर पर सरकारी अस्पतालों द्वारा यह काम तेजी से किया जाए, जहां कुल संस्थागत प्रसव से जन्मे बच्चों में से 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे पैदा होते हैं। साथ ही रजिस्ट्रार को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे अस्पताल में जन्म होते ही नवजात का रजिस्ट्रेशन करें और प्रमाण पत्र जारी करें। इससे आम जन को सुविधा होगी और बच्चे के जन्म के बाद उन्हें प्रमाण पत्र के लिए अलग से परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसलिए कलेक्टर अपने जिले में नवजात के जन्म के बाद तुरंत जन्म प्रमाण पत्र जारी कराने की व्यवस्था कराएं।
जन्म प्रमाण पत्र की उपयोगिता
- जन्म प्रमाण पत्र किसी व्यक्ति की पहचान और जन्म तिथि का आधिकारिक प्रमाण होता है।
- स्कूल में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, मतदाता परिचय पत्र और अन्य पहचान दस्तावेजों के लिए यह आवश्यक है।
- जन्म प्रमाण पत्र के माध्यम से छात्र जीवन से लेकर बढ़ती उम्र के साथ सरकारी योजनाओं जैसे छात्रवृत्ति, सामाजिक सुरक्षा और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लिया जाता है।
- विवाह, उत्तराधिकार और कानूनी कार्यवाही में जन्म प्रमाण पत्र महत्वपूर्ण भूमिका है। नौकरी के लिए, विशेष रूप से सरकारी नौकरियों में जन्म प्रमाण पत्र मायने रखता है।
- स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक है। विवाह पंजीकरण और विदेश में विवाह के लिए जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक हो सकता है।