गुना-शिवपुरी में सिंधिया समर्थित नगरपालिकाओं अध्यक्षों के खिलाफ बगावत: तीन साल पूरे होते ही अविश्वास प्रस्ताव की सुगबुगाहट; डैमेज कंट्रोल में जुटी BJP – Guna News

गुना-शिवपुरी में सिंधिया समर्थित नगरपालिकाओं अध्यक्षों के खिलाफ बगावत:  तीन साल पूरे होते ही अविश्वास प्रस्ताव की सुगबुगाहट; डैमेज कंट्रोल में जुटी BJP – Guna News


सवाल यह है कि यह प्रेशर पॉलिटिक्स है या फिर वाकई विकास की जमीनी लड़ाई?

मध्यप्रदेश के गुना और शिवपुरी नगरपालिकाओं में पिछले तीन वर्षों से सत्ता पक्ष के भीतर ही घमासान मचा हुआ है। दोनों ही नगरपालिकाएं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा क्षेत्र में आती हैं और दोनों ही जगह भाजपा की अध्यक्ष हैं।

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दिलचस्प बात यह है कि गुना में जहां सिंधिया समर्थक अध्यक्ष सविता गुप्ता को भाजपा पार्षदों के ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है, वहीं शिवपुरी में पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया समर्थक अध्यक्ष गायत्री शर्मा पर भाजपा-कांग्रेस दोनों के पार्षद लामबंद हो चुके हैं।

विरोध का कारण विकास कार्यों में अनदेखी और पार्षदों की उपेक्षा है। अगस्त में तीन साल पूरे होने पर दोनों जगह अविश्वास प्रस्ताव लाने की सुगबुगाहट है। फिलहाल भाजपा संगठन डैमेज कंट्रोल में जुटा है, लेकिन सवाल यही है कि यह प्रेशर पॉलिटिक्स है या फिर वाकई विकास की जमीनी लड़ाई?

रिपोर्ट पढ़ने से पहले देखिए विरोध के दो उदाहरण…

  • दिन – 24 मार्च
  • स्थान – गुना नगर पालिका सभागार
  • अध्यक्ष – सविता अरविंद गुप्ता (भाजपा)

गुना नगरपालिका परिषद की बैठक में नामांतरण के अधिकार नपाध्यक्ष को देने के मुद्दे पर पार्षदों ने विरोध जताते हुए हंगामा कर दिया। इसमें भाजपा के छह पार्षदों सहित कांग्रेस के पार्षद भी शामिल थे।

वहीं कई अन्य प्रस्तावों पर भी विरोध जताया गया। बाद में वोटिंग की नौबत आई और 20 पार्षदों के हस्ताक्षर के बाद नामांतरण वाला प्रस्ताव पास हुआ। तीन दिन बाद भाजपा ने अपने छह पार्षदों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।

हंगामे के दौरान कुछ पार्षदों और सीएमओ तेज सिंह यादव के बीच भी कहासुनी हुई थी। इसके बाद सीएमओ नाराज दिखे थे।

  • दिन – 11 जून
  • स्थान – करेरा (शिवपुरी) का हनुमान मंदिर
  • अध्यक्ष – गायत्री शर्मा (भाजपा)

भाजपा सहित कांग्रेस के 18 पार्षद और पार्षद पति करेरा स्थित बगीचा वाले हनुमान मंदिर पर पहुंचे। यहां उन्होंने विकास के मुद्दों पर कसम खाई कि नगरपालिका अध्यक्ष को पद से हटाएंगे। अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। इसमें भाजपा और कांग्रेस सहित निर्दलीय पार्षद शामिल थे। उनका आरोप था कि नगरपालिका अध्यक्ष उनकी सुनवाई नहीं करतीं।

पार्षद करैरा स्थित बगीचा सरकार हनुमान मंदिर पर एकत्र हुए थे, उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कसम खाई थी।

पार्षद करैरा स्थित बगीचा सरकार हनुमान मंदिर पर एकत्र हुए थे, उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कसम खाई थी।

सबसे पहले बात गुना नगरपालिका की

वर्ष 2022 में नगरपालिका और पंचायतों के चुनाव हुए। गुना नगरपालिका के लिए भाजपा ने सुनीता रविन्द्र रघुवंशी को अध्यक्ष पद के लिए मेन्डेट दिया। हालांकि, सविता अरविंद गुप्ता ने भी अपना नामांकन दाखिल किया था। कांग्रेस प्रत्याशी रश्मि शर्मा सहित तीन प्रत्याशी मैदान में थे। निर्दलीय सविता गुप्ता को 13, कांग्रेस की रश्मि शर्मा को 13 और भाजपा प्रत्याशी सुनीता शर्मा को महज 9 वोट मिले।

पर्ची से फैसला हुआ और सविता अरविंद गुप्ता अध्यक्ष बनीं। सविता अरविंद गुप्ता के अध्यक्ष बनने के बाद से ही नगरपालिका में पार्षदों द्वारा गाहे बगाहे विरोध दर्ज कराया जाता रहा। करीब डेढ़ साल बाद भाजपा ने सविता अरविंद गुप्ता को पार्टी में वापस लिया। हालांकि, पार्टी के ही कुछ पार्षद इस निर्णय के खिलाफ थे। उनको पार्टी में वापस लेने के बाद भी भाजपा के ही कुछ पार्षद बैठकों में विरोध करते रहे।

मार्च में हुई बैठक में तो नपा उपाध्यक्ष धरम सोनी, वार्ड 16 के पार्षद दिनेश शर्मा सहित चार अन्य पार्षदों ने नपाध्यक्ष के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल दिया और प्रस्तावों का विरोध किया। पार्षदों का आरोप कि उनके वार्डों में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। साथ ही उनकी मांग थी कि अभी जो 1200 नामांतरण पेंडिंग हैं, पहले उन्हें निपटाया जाए, इसके बाद अध्यक्ष को नामांतरण देने के प्रस्ताव पर चर्चा हो।

सिंधिया के साथ भाजपा में आई थीं सविता गुना नगरपालिका अध्यक्ष सविता अरविंद गुप्ता सिंधिया समर्थक हैं। वो सिंधिया के साथ ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई हैं। गुना में भाजपा ने विरोध और हंगामा करने पर छह पार्षदों को नोटिस जारी किए थे। इनमें उपाध्यक्ष धरम सोनी, पार्षद दिनेश शर्मा, अजब बाई लोधा, ब्रजेश राठौर, सुमन लोधा और सुनीता रघुवंशी शामिल हैं।

इनमें से दिनेश शर्मा और सुनीता रविन्द्र रघुवंशी सिंधिया समर्थक हैं। दोनों सिंधिया के साथ ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। वहीं अजब बाई लोधा भी सिंधिया समर्थक मानी जाती हैं। बाकी तीन पार्षद मूल भाजपा से हैं।

यदि ओवरऑल बात करें तो गुना नगरपालिका में कुल 37 पार्षद हैं। इसमें से 25 पार्षद भाजपा और 12 पार्षद कांग्रेस के हैं। इनमें से 8 पार्षद सिंधिया समर्थक हैं। ये सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे।

सिंधिया के सामने शक्ति प्रदर्शन गुना नगरपालिका में हालत यह हो गए कि नपाध्यक्ष के खिलाफ लगातार शिकवा शिकायतें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पहुंचाई जाने लगीं। इसी बीच गुना नगरपालिका में डिप्टी कलेक्टर को प्रभारी CMO बनाकर बिठा दिया गया।

इसे भी नपाध्यक्ष की अनदेखी करने के रूप में देखा गया। इसी के बाद नपाध्यक्ष सविता अरविंद गुप्ता लगभग 20 पार्षदों के साथ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचीं। इसे एक तरीके से शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया।

दिल्ली में सिंधिया के सामने शक्ति प्रदर्शन करते गुना नगरपालिका अध्यक्ष और उनके समर्थक पार्षद।

दिल्ली में सिंधिया के सामने शक्ति प्रदर्शन करते गुना नगरपालिका अध्यक्ष और उनके समर्थक पार्षद।

नेता प्रतिपक्ष बोले- तीन साल में शहर की हालत सबसे बदतर गुना नगरपालिका में नेता प्रतिपक्ष शेखर वशिष्ठ ने नगर पालिका परिषद की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, यह गुना शहर का दुर्भाग्य ही है कि करीब तीन साल पहले, जुलाई-अगस्त माह में हुए नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। उस समय अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों के 13-13 वोट बराबर रहे, लेकिन कांग्रेस की पर्ची नहीं निकलने के कारण भाजपा को अध्यक्ष पद मिल गया।

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि उस समय भाजपा के भीतर ही बगावत हुई थी और कुछ भाजपाई पार्षदों ने पार्टी लाइन से हटकर भूमिका निभाई थी। तभी से भाजपा पार्षद दल में बनी दरार आज तक नहीं भर पाई, और इसका खामियाजा गुना शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष सविता गुप्ता के तीन साल के कार्यकाल में गुना शहर की हालत इतनी बदतर हुई है, जितनी पहले कभी किसी कार्यकाल में नहीं हुई। सड़क निर्माण की गुणवत्ता बेहद खराब रही। पांच साल चलने वाली सड़कें पांच महीने भी नहीं टिक पा रहीं। शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था भी बेहद खराब है।

‘नामांतरण मामले में हंगामा, भ्रष्टाचार चरम पर’ शेखर वशिष्ठ ने कहा कि नामांतरण के मामलों को लेकर परिषद की बैठकों में जमकर हंगामा हुआ। पार्षदों के अधिकार जबरन छीने गए, जिससे सदन की मर्यादा तार-तार हो गई। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा के पार्षद भी दो गुटों में बंट गए हैं। एक गुट अध्यक्ष पति और प्रभारी सीएमओ को हटाने के लिए सत्ता के हर दरवाजे पर दस्तक दे रहा है, तो दूसरा गुट भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए सिंधिया गुट के समर्थन में खड़ा है।

नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि गुना के सांसद और केंद्रीय मंत्री भी नगर पालिका के हालात से नाराज हैं। यही वजह है कि नपा में सुधार के लिए डिप्टी कलेक्टर को प्रभारी सीएमओ नियुक्त किया गया है, जो वर्तमान में नगर पालिका की अव्यवस्थाओं पर शिकंजा कसने में जुटी हैं।

अब बात शिवपुरी नगरपालिका की

39 वार्डों वाली शिवपुरी नगरपालिका में अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध हुआ था। गायत्री शर्मा ने 13 अगस्त 2022 को अध्यक्ष पद की शपथ ली थी। इससे पहले से पूर्व उपाध्यक्ष भानु दुबे की पत्नी दीप्ति दुबे दावेदारी कर रही थीं। लेकिन रामजी व्यास की पत्नी सरोज व्यास अध्यक्ष पद के लिए अड़ गईं। ऐसे में पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को बीच में आना पड़ा। वो बातचीत करने के लिए रामजी व्यास के घर तक गईं।

मामला नहीं सुलझा तो अचानक गायत्री शर्मा का नाम आगे बढ़ाया गया और वे निर्विरोध चुन की गईं। लेकिन यशोधरा राजे के विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के बाद शिवपुरी नगरपालिका के राजनैतिक समीकरण बदल गए। यहां भी अध्यक्ष पर विकास कार्य न करने और पार्षदों की अनदेखी के आरोप लगाए जाने लगे। हालत यहां तक पहुंच गए कि पार्षदों ने खुलेआम बगावत कर डाली।

11 जून को भाजपा सहित कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद बगीचा वाले हनुमान मंदिर पर पहुंचे और नपाध्यक्ष को हटाने की कसम खाई। इस दौरान लगभग 18 पार्षद और पार्षद पति के रहने का दावा किया गया। इसके कुछ दिन बाद ही 18 जून को पार्षदों ने PIC की बैठक से पहले भाजपा, कांग्रेस पार्षदों सहित उपाध्यक्ष पति ने विरोध कर दिया।

उनका आरोप था कि PIC के रजिस्टर दिखाए जाएं, तो पता चला कि वह अध्यक्ष के घर पर हैं। इस बात को लेकर पार्षदों ने विरोध दर्ज कराते हुए आपत्ति ली। हालांकि, नपाध्यक्ष का कहना था कि रजिस्टर कई जगह घूमते रहते हैं। ऐसे में CMO को दायरा पणजी बनाकर रखनी चाहिए कि कौनसा रजिस्टर कहां गया है।

गायत्री भी खुद को बताती हैं सिंधिया समर्थक शिवपुरी नगरपालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा पहले पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की समर्थक रही हैं। उन्होंने ही इनका नाम अध्यक्ष के लिए आगे बढ़ाया था। हालांकि, उनके चुनाव नहीं लड़ने के बाद अब वह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक हैं।

गायत्री का विरोध करने वाले सभी पार्षद मूल भाजपा के हैं। पहले वे यशोधरा राजे सिंधिया के समर्थक माने जाते थे। पहले सिंधिया यहां ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते थे। चूंकि, शिवपुरी नगरपालिका सिंधिया के लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, ऐसे में अब वह सिंधिया के करीबी भी हैं।

ओवरऑल शिवपुरी में 39 पार्षद हैं। इनमें से 22 पार्षद भाजपा के हैं। 10 पार्षद कांग्रेस के और 7 निर्दलीय हैं। जिस समय नगरपालिका के चुनाव हुए, उस समय शिवपुरी में यशोधरा राजे सिंधिया का ज्यादा रोल थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया वहां ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते थे।

चुनाव में शिवपुरी नगर पालिका में 39 वार्ड में से 22 वार्ड में भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीते थे।

चुनाव में शिवपुरी नगर पालिका में 39 वार्ड में से 22 वार्ड में भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीते थे।

गांधी जी के बंदरों जैसी तस्वीर वायरल कर जताया विरोध शिवपुरी नगरपालिका में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पार्षदों ने बुधवार को रोचक अंदाज में विरोध दर्ज कराया। पार्षद गौरव सिंघल, विजय शर्मा और पार्षद नीलम बघेल के पति अनिल बघेल ने गांधीजी के तीन बंदरों की तरह आंख, कान और मुंह बंद कर फोटो खिंचवाई और सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। इस तस्वीर के जरिए संदेश दिया गया कि बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो।

इनका कहना था कि नगरपालिका में भ्रष्टाचार के मामलों पर भी जिम्मेदारों ने यही रवैया अपना रखा है। चाहे कुछ भी गलत हो रहा हो, सब चुप हैं। इसे लेकर विरोध किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार देर रात करीब 12 पार्षद गौरव सिंघल के समर्थन में उनके घर पहुंचे।

‘नपा में अंधा कानून चल रहा है’ – पार्षद पति

पार्षद पति अनिल बघेल ने कहा,

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नगरपालिका में अंधा कानून चल रहा है। भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी पर न बोलने का अधिकार है, न सुनने का। हम गलत होते नहीं देख सकते, इसलिए विरोध कर रहे हैं।

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यही वह फोटो है जिसे शेयर कर पार्षदों ने अध्यक्ष के रवैये विरोध जताया था।

यही वह फोटो है जिसे शेयर कर पार्षदों ने अध्यक्ष के रवैये विरोध जताया था।

विरोध करने पर पार्षद को पीआईसी से निकाला विवाद बढ़ने के बाद हालात यहां तक पहुंच गए कि गुरुवार को नपाध्यक्ष ने पार्षद गौरव सिंघल को पीआईसी (कार्यपालिका समिति) से हटा दिया। इस पर वार्ड 37 के पार्षद गौरव सिंघल ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा परिषद में अध्यक्ष का साथ दिया। हर सप्ताह पीआईसी की बैठक बुलाने की बात कही, अच्छे सुझाव देना शायद उन्हें पसंद नहीं आया। इसलिए मुझे हटाया गया।”

सिंघल ने कहा, “मैंने गांधीजी के तीन बंदरों का प्रतीक बनाकर यह बताने की कोशिश की कि नगरपालिका में हर गलत बात पर चुप्पी साध ली जाती है। रही बात पीआईसी में न पहुंचने की, तो मैं शहर से बाहर था, इसलिए नहीं आ सका। फोन बंद रहने की यही वजह थी। आज तक मेरे कार्यकाल पर कोई दाग नहीं लगा। फिर भी मुझे पीआईसी से क्यों हटाया गया, समझ नहीं आ रहा। मैं तो उन पार्षदों के साथ भी नहीं गया था, जिन्होंने पहले कसम खाई थी।”

‘जो चिल्ला रहे, उनके पास विजन नहीं ’- नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा इधर, शिवपुरी नगरपालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा ने नगर में चल रहे विकास कार्यों को लेकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में शहर में 500 सड़कों का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है, जबकि 600 सड़कों के काम स्वीकृत हो चुके हैं। मड़ीखेड़ा से शिवपुरी तक पाइपलाइन बिछाई गई है और अमृत योजना के तहत तेजी से काम हो रहा है।

पानी आपूर्ति के लिए चार नई टंकियां बन रही हैं और पार्कों का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह महाराज साहब का शहर है। मैं उनके विजन और मिशन के अनुसार लगातार काम कर रही हूं। उनका प्रयास रहता है कि शिवपुरी के लिए अधिक से अधिक योजनाएं आएं। मेरा मकसद शहर में बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं बेहतर तरीके से उपलब्ध कराना है।”

विपक्ष पर निशाना साधते हुए नपाध्यक्ष ने कहा, “जो लोग चिल्ला रहे हैं, उनके पास कोई विजन ही नहीं है। उन्हें खुद ही नहीं पता कि करना क्या है। उनमें से कितने लोग फील्ड में जाकर काम करते हैं? महिलाएं पार्षद बनी हैं और उनके पति चिल्ला रहे हैं, जबकि उनका खुद कोई वजूद नहीं है।”

विकास के मुद्दे पर विरोध दोनों ही नगरपालिकाओं में भाजपा अध्यक्ष को कांग्रेस पार्षदों के विरोध के साथ साथ भाजपा के पार्षदों का भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पार्षद अपने वार्डों में विकास न होने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि विकास कार्य न होने पर जनता उनसे सवाल करती है।

गुना के पार्षदों का कहना है कि मानसून आ गया है, नालों की सफाई तक नहीं हुई, ऐसे में बारिश में बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। वार्डों में सड़कें खुदी पड़ी हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर पार्टी पदाधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकला। वहीं शिवपुरी के पार्षदों का कहना है कि महाराज (ज्योतिरादित्य सिंधिया) ने सभी वार्डों में विकास कराने के लिए कहा है, लेकिन उन्हें ही झूठी जानकारी दे दी गई।

बताया गया कि करोड़ों के विकास कार्य हुए हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं है। हम लगभग 15 महीने पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री से मिले। कलेक्टर, विधायक, जिलाध्यक्ष को अवगत करा चुके हैं, उसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। अब इतना हो चुका है कि वापस लौटने का कोई रास्ता ही नहीं है। या तो इस्तीफा देंगे या अध्यक्ष का बदलाव होगा। इधर, वरिष्ठ पत्रकार नुरुल हसन नूर का कहना है कि आपकी टकराव के कारण जनता का नुकसान हो रहा है।

“ऐसी चुनौतियां और भी कई जगह” वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं कि ये चुनौतियां केवल गुना या शिवपुरी में नहीं और भी जगह इसी तरह की हैं। ऊर्जा मंत्री को कैबिनेट मीटिंग में कहना पड़ा कि दूसरे दलों से आए लोगों के काम नहीं हो रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने डबल चुनौती है। उन्हें अपने लोगों को भी संभालना है। भाजपा का जो मूल कार्यकर्ता है, वह भी अपना वजूद और सम्मान चाहता है।

ऐसे में अगर सिंधिया केवल अपने ही लोगों को संभालने का प्रयास करते हैं तो ऊपर गलत मैसेज जाएगा कि ये केवल अपने लोगों को ही ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। अगर वो मूल भाजपा के कार्यकर्ताओं को संभालते हैं तो उनके खुद के समर्थकों के टूटने का डर है।



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