जैविक खेती का जलवा! केंचुआ खाद बनाने के लिए सरकार दे रही 50% सब्सिडी, किसान समझें ये योजना

जैविक खेती का जलवा! केंचुआ खाद बनाने के लिए सरकार दे रही 50% सब्सिडी, किसान समझें ये योजना


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Agriculture News: अब जैविक खेती का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. किसान केंचुआ खाद का ज्यादा प्रयोग करें, इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार सब्सिडी भी दे रही है. जानें योजना…

हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश सरकार दे रही 50% सब्सिडी
  • किसान केंचुआ खाद का ज्यादा प्रयोग करें
  • उद्यानिकी विभाग से आर्थिक सहायता प्राप्त करें

Satna News: किसान जैविक खेती के महत्व को समझ चुके हैं. अपने खेतों में इसके प्रयोग को प्राथमिकता देने लगे हैं. हालांकि, अब भी कई किसान रासायनिक खाद और फर्टिलाइजर का अत्यधिक उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यदि ये किसान भी जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाएं तो इससे न केवल उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि मिट्टी की सेहत भी लंबे समय तक बनी रहेगी.

उद्यानिकी विभाग दे रहा आर्थिक सहायता
लोकल 18 से बातचीत में सोहावल विकासखंड की वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी सुधा पटेल ने बताया कि जैविक खेती में सबसे ज़्यादा मांग गोबर और केचुआ खाद की होती है. केचुआ खाद को पौधों के लिए न्यूट्रिएंट सप्लीमेंट के रूप में जाना जाता है, जो फसल को आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करता है. विभाग की ओर से इस दिशा में किसानों को दो तरह की सहायता दी जाती है, जैसे अस्थायी और स्थायी संरचना के रूप में.

केंचुआ खाद के लिए मिल रही सब्सिडी
अस्थायी संरचना के तहत 12×4 2 फीट आकार के HDPE बेड, नेट और केंचुआ किसानों को 50% अनुदान पर उपलब्ध कराया जाता है. वहीं, स्थायी संरचना जिसे पक्का स्ट्रक्चर कहा जाता है, 32x8x2.5 फीट का होता है, जिसमें ऊपर पक्का शेड भी बनाया जाता है. इस पक्के स्ट्रक्चर की कुल लागत लगभग ₹1 लाख आती है, जिसमें विभाग 50% अनुदान प्रदान करता है. यह योजना हर वर्ष लागू होती है और सतना जिले के प्रत्येक विकासखंड में दर्जनों किसान इसका लाभ भी उठा रहे हैं. इसके लिए किसान उद्यानिकी विभाग की वेबसाइट पर जाकर या स्थानीय कार्यालय में पंजीयन करवा सकते हैं.

ऐसे बनाएं घर पर केचुआ खाद
केचुआ खाद तैयार करने की प्रक्रिया भी बेहद सरल है. सबसे पहले एक महीने पुराना गोबर लिया जाता है क्योंकि ताजा गोबर अत्यधिक गर्मी उत्पन्न करता है जिससे केचुए मर सकते हैं. इसके बाद भूसे के छोटे-छोटे टुकड़े नीचे बिछाए जाते हैं, फिर ऊपर से घास या हल्की मिट्टी डाली जाती है. इसके बाद हल्की सिंचाई की जाती है और गोबर व घास की परतें एक के ऊपर एक डाली जाती हैं. तीसरी परत के बाद केचुए छोड़े जाते हैं और फिर जूट के बोरे से ढंककर नियमित हल्की सिंचाई की जाती है. करीब 45 दिन में यह खाद तैयार हो जाती है जो जैविक खेती के लिए बेहद उपयोगी होती है.

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