नई दिल्ली. दिलीप दोषी 1970 के दशक में बल्लेबाजों के लिए आतंक का पर्याय हुआ करते थे. उन्हीं दिनों बंगाल रणजी टीम के उनके साथी गोपाल बोस ने उनसे पूछा कि क्या वे गैरी सोबर्स को आउट कर सकते हैं. हमेशा की तरह बेपरवाह दोषी ने जवाब दिया, ‘हां, कर सकता हूं.’ दोषी ने इसके कुछ साल बाद विश्व एकादश के मैच में सोबर्स को आउट किया. वे बाद में काउंटी क्रिकेट में नॉटिंघमशर की ओर से कई साल तक सोबर्स के साथ खेले.
दोषी को भारतीय पिचों पर काफी सफलता मिली लेकिन यह 1980-81 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा था जहां उन्होंने स्पिन गेंदबाजी की प्रतिकूल पिचों पर 150 से अधिक ओवर में 11 विकेट (एडीलेड में छह और मेलबर्न में पांच) चटकाए. उनके शिकार में ग्रेग चैपल, डग वॉल्टर्स, रॉड मार्श, किम ह्यूजस जैसे बल्लेबाज शामिल थे.
यह 1982-83 में पाकिस्तान का दौरा था जहां जावेद मियांदाद ने उनका मजाक उड़ाया था. सुनील गावस्कर अक्सर याद करते थे कि दोषी के खिलाफ मियांदाद कैसे छींटाकशी करते थे. मियांदाद पैर आगे निकालकर रक्षात्मक शॉट खेलने के बाद कहते थे, ‘ऐ दिलीप, तेरे कमरे का नंबर क्या है?’ जब दोषी ने पूछा, ‘‘क्यों?, तो उन्होंने कहा, ‘तेरे को वहीं छक्का मारूंगा.’
दिलीप दोषी ने अपनी आत्मकथा में लिखा, ‘भारत के लिए उत्तर क्षेत्र के चयनकर्ता थे बिशन बेदी. वे भारतीय टीम का प्रबंधन भी कर रहे थे. मुझे माहौल शत्रुतापूर्ण लगा और मैं यह महसूस करने से खुद को नहीं रोक सका कि यह मुझे टीम में वापस बुलाए जाने के कारण था. मेरे कप्तान कपिल देव ने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया और मुझे शुभकामनाएं दीं. कप्तानी से हटाए गए गावस्कर होटल लॉबी में कहीं घूम रहे थे. वे टीम में एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने मुझे शुभकामनाएं नहीं दीं या एक शब्द भी नहीं कहा.’
बिशन सिंह बेदी पर दोषी कितने नाराज थे इसका अंदाजा अगले पैरा से लगाया जा सकता है. उन्होंने लिखा, ‘मैंने उनसे (बेदी से) पूछा कि क्या उन्होंने कभी यह गारंटी दी थी कि वे एक पारी में कितने विकेट लेंगे. क्या अपने खेलने के दिनों के दौरान उन्हें इस तरह के दबाव के बारे में पता था जो वे मुझ पर डालने की कोशिश कर रहे थे? टेस्ट क्रिकेट में यह कोई बहुत अच्छी वापसी नहीं थी.’
यह भारत के लिए दोषी का आखिरी मैच था. वे हालांकि पहले बंगाल और फिर सौराष्ट्र के लिए 1985-86 तक खेले लेकिन इसके बाद वह स्थायी रूप से इंग्लैंड चले गए जहां उनका कारोबार खूब अच्छा चला. उनकी कंपनी प्रतिष्ठित मोंट ब्लांक पेन को भारत लेकर आई.