जबलपुर हाईकोर्ट ने पूछा- कैसे हुई हैदराबाद से लाए गए 12 घोड़ों की मौत

जबलपुर हाईकोर्ट ने पूछा- कैसे हुई हैदराबाद से लाए गए 12 घोड़ों की मौत


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Jabalpur Horse Death: जबलपुर में हैदराबाद से लाए गए 57 घोड़ों में से 12 की मौत हो चुकी है. अब एनिमल लवर्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. कोर्ट ने जिला प्रशासन से 25 जून तक जवाब मांगा है.

जबलपुर में घोड़ों की मौत.

हाइलाइट्स

  • जबलपुर में हैदराबाद से लाए गए घोड़ों की मौत
  • अब तक 12 घोड़ों की हो चुकी है मौत
  • हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन से मांगी जानकारी

जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर के पनागर में हैदराबाद से लाए गए घोड़ों की मौत का सिलसिला थम नहीं रह. 29 अप्रैल को जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में से 12 घोड़ों की मौत हो चुकी है, जबकि एनिमल लवर्स ने 20 घोड़ों की मौत का दावा किया है. इसी बीच एनिमल लवर्स ग्रुप के सदस्य अब हाईकोर्ट की शरण में पहुंच चुके है. हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जिला प्रशासन, पशु चिकित्सा विभाग सहित अन्य सभी पक्षकारों से 25 जून तक घोड़ों की मौत का कारण और हैदराबाद से जबलपुर लाने की वजह सहित तमाम जानकारी मांगी है.

गौरतलब है कि बीते एक महीने से जबलपुर के पनागर स्थित रैपुरा में सचिन तिवारी ने घोड़े बुलवाए गए थे. जबलपुर पहुंचते ही इन घोड़ों में से 8 घोड़ों की तबीयत खराब होने के बाद उनकी मौत हो गई. इस घटना की जानकारी जैसे ही एनिमल लवर को मिली उन्होंने जिला प्रशासन को सूचना देते हुए घोड़ों की मौत की जांच करने की मांग की थी.

हाईकोर्ट में याचिका दायर

जिला प्रशासन की जांच में असंतुष्ट एनिमल लवर्स ग्रुप और पेटा से जुड़ी सिमरन इस्सर ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी करते हुए जानकारी मांगी है. याचिकाकर्ता के वकील उमेश त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह पूरा मामला हैदराबाद में घोड़ों की इलीगल बेटिंग और रेस से जुड़ा हुआ है. कुछ महीने पहले हैदराबाद के सुरेश पाला डुग्गू ने हैदराबाद में 2 घोड़ों की अनोखी रेस करवाई, जिसमें करोड़ों रुपये का सट्टा लगाया गया. यह रेस फिलीपींस में एक ऐप के जरिए दिखाई गई. ऐसी ही रेस कई बार करवाई गई.

यह अवैध रूप से सट्टा से जुड़ा मामला था, इसलिए इस रेस की जानकारी ना तो भारत सरकार को दी गई और ना ही हैदराबाद में किसी को कानों कान खबर हुई. कई महीनो तक फिलिपींस में इस रेस को दिखाकर करोड़ों रुपये की काली कमाई की गई, लेकिन किसी तरह यह जानकारी PETA तक पहुंच गई. जब PETA सुरेश पाल डुग्गू के रेस कोर्स में रेड करने की तैयारी कर रही थी. इसी दौरान सुरेश पाल डुग्गू को भी इसकी जानकारी लग गई. उसने रातों रात पनागर इलाके के रहने वाले सचिन तिवारी से संपर्क कर हैदराबाद से ट्रकों में घोड़ों को भरकर जबलपुर भेज दिया. ये घोड़े ऊंची नस्ल के हैं, जो लग्जरी सुविधाओं के आदी होते हैं.

जांच रिपोर्ट आई निगेटिव

नियम के मुताबिक एक ट्रक में 4 घोड़े विपरीत दिशा में बांधकर एक जगह से दूसरे स्थान पर पहुंचाए जाते हैं लेकिन इन घोड़ों को पूरी तरह गुप्त रखने के चक्कर में बिना परमिशन लिए एक ट्रक में 10 से 12 घोड़े को भरकर जबलपुर भेजा गया. इसके कारण रास्ते का लंबा सफर, थकान और अन्य वजह से घोड़े बीमार पड़ गए. जबलपुर के रैपुरा में भी इन घोड़ों को गौ वंश के तबेले में रखा गया, जबकि रेस कोर्स के घोड़ों की देखरेख, उनका रहन-सहन और खाना पीना तमाम चीज बहुत ही व्यवस्थित रखी जाती है. हर घोड़े पर प्रतिदिन 2 से 3 हजार रुपये खर्च होते हैं. फिर भी नियमों की अनदेखी की गई और इन ऊंची नस्ल के घोड़ों को मवेशियों की बंद पड़ी गौशाला में रखा गयाय

इसके कारण धीरे धीरे घोड़े बीमार होने लगे और उनकी मौत होने लगी. जिला प्रशासन ने भी पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की टीम बनाकर जांच करवाई जिसमें घोड़ों में ग्लैंडर बीमारी की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन जांच रिपोर्ट निगेटिव आई. याचिकाकर्ता की ओर से आशंका जताई है कि अवैध बेटिंग के सबूत मिटाने के लिए इन घोड़ों को पहले हैदराबाद से गायब किया गया. फिर जबलपुर में इन घोड़ों की मौजूदगी की जानकारी मिलते ही पेटा भी सक्रिय हो गया. इसी वजह से इन घोड़ों को बीमारी के बहाने धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है. बहरहाल अब कोर्ट ने सभी पक्षकारों से जवाब मांगा है, जिसकी सुनवाई के बाद काफी कुछ नई जानकारी भी सामने आ सकती है.

Preeti George

Preeti George is lead content writer at hindi.news18.com having experience of more than 5 years in digital media. After completing her masters from Kushabhau Thakre Journalism university, she worked in various …और पढ़ें

Preeti George is lead content writer at hindi.news18.com having experience of more than 5 years in digital media. After completing her masters from Kushabhau Thakre Journalism university, she worked in various … और पढ़ें

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