दिव्यांगों को कानूनन पेंशन नहीं देने के साथ ही उन्हें हक की सरकारी नौकरियां भी नहीं मिल पा रही है। प्रदेश में दिव्यांगों के लिए आरक्षित 34,558 में से 19,627 पद खाली हैं। हाई कोर्ट ने जनवरी 2024 में सरकार को आदेश दिया था कि 15 जुलाई 2024 तक सभी पदों प
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स्कूल शिक्षा विभाग में सबसे अधिक 15,088 पदों में 6,709 पद खाली हैं, जबकि जनजातीय कार्य विभाग में 4,858 में से 2,783 पद खाली हैं। लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में आरक्षित 3,752 पदों में 3,488 पद पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक सिर्फ 9,135 पद के लिए विज्ञापन निकाले गए हैं।
सरकार ने आदेश ही बदला
जुलाई 2018 में सरकार ने सभी विभागों को आदेश दिया था कि अधिक दिव्यांगता वाले लोगों को नौकरी में प्राथमिकता दी जाए। हाई कोर्ट की सख्ती के बाद मई 2024 में सरकार ने जो नोटिफिकेशन निकाला, उसमें नौकरी के लिए अधिक दिव्यांगता के बजाय एकेडेमिक आधार तय कर दिया गया।
इससे अधिक दिव्यांगता वाले कई दावेदार पिछड़ गए, जिन्हें नौकरी की सबसे अधिक जरूरत है। मूक-बधिर दिव्यांग संस्थान आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया, इस मुद्दे पर भी हाई कोर्ट में याचिका विचाराधीन है। अप्रैल 2025 को सरकार ने एक आदेश देकर दिव्यांगों की नियुक्ति वॉक इन इंटरव्यू के बजाय अन्य भर्तियों के तरह करने के भी आदेश दिए हैं।
2,610 को नियुक्ति पत्र पर भी सवाल
मप्र दृष्टिहीन कल्याण संघ के महासचिव और हाई कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हीरालाल बघेल ने बताया, नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इस अवधि में सर्वाधिक 1,166 दिव्यांगों को नियुक्ति पत्र देने का दावा किया है। इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे बड़े शहरों के नगर निगम में विज्ञापन जारी होने के बाद अब तक इंटरव्यू नहीं हुए हैं, ऐसे में नियुक्ति पत्र कैसे जारी हो सकते हैं।
भास्कर इम्पैक्ट
साल्वे के घर पहुंची टीम, मां की पेंशन का निराकरण किया
इंदौर के एमआर-10 क्षेत्र में रहने वाले संतोष साल्वे की दिव्यांग पेंशन और मां की विधवा पेंशन का मामला दैनिक भास्कर ने उठाया था। जिला प्रशासन की टीम सोमवार दोपहर को संतोष के घर पहुंची और उनकी परेशानी का निराकरण किया। साल्वे ने कहा, मां की विधवा पेंशन का रास्ता भी साफ हो गया है।
UDID: मप्र से आगे उप्र- महाराष्ट्र
आम लोगों के आधार कार्ड की तरह दिव्यांगों के लिए यूडीआईडी (यूनिक डिसेब्लिटी आईडी) कार्ड बनाए जाते हैं। सरकारी योजनाओं के लिए यह कार्ड जरूरी है। कार्ड बनाने के मामले में यूपी, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश ने मप्र को पीछे छोड़ दिया है। मप्र में 30 लाख से अधिक दिव्यांगों में से अब तक सिर्फ 9 लाख 50 हजार के यूडीआईडी कार्ड बने हैं।