इमरजेंसी…’मैं दिन में पर्चे बांटता, रात में मिलिट्री एरिया में छिप जाता था’

इमरजेंसी…’मैं दिन में पर्चे बांटता, रात में मिलिट्री एरिया में छिप जाता था’


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तीन बार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया, लेकिन उनकी जान पहचान बड़े-बड़े अधिकारियों और मिलिट्री में थी जिसकी वजह से वह जेल जाने से बच जाते थे

इंदिरा गांधी के द्वारा सन 1975 में लगाई गई इमरजेंसी के लिए 50 साल पूरे हो गए हैं, अचानक घोषित किए गए आपातकाल के उसे समय को देश का दुर्भाग्यपूर्ण फैसला बताया जाता है. सागर जिले में भी इस दौरान कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया था लेकिन कई लोग ऐसे थे जिन्होंने इमरजेंसी के खिलाफ खूब काम किया. ऐसे ही 94 वर्षीय योग गुरु विष्णु आर्य ने भी उसे समय पुलिस वालों की नाक में दम कर रखा था बेरोजना 500 से एक हजार पर्चे इमरजेंसी के खिलाफ बंटवाया करते थे. तीन बार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया, लेकिन उनकी जान पहचान बड़े-बड़े अधिकारियों और मिलिट्री में थी जिसकी वजह से वह जेल जाने से बच जाते थे लेकिन उन्होंने सूचनाओं का आदान-प्रदान और लोगों को जागरूक करना नहीं छोड़ा.

इमरजेंसी के समय को याद करते हुए योगाचार्य विष्णु आर्य बताते हैं कि उन्होंने सन 1958 से मिलिट्री को जिले में आने वाले बड़े-बड़े अधिकारियों को योग कराना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से उनकी अच्छी पहचान और संपर्क थे, इमरजेंसी लागू होने के बाद पांचवें छठवें दिन ही पकड़ लिया गया लेकिन मैंने बेटे से बोलकर बड़े अधिकारियों तक इसकी खबर भेजो आदि उन्होंने फोन लगाया जिसकी वजह से 24 घंटे तक कोतवाली में तो रखा गया लेकिन बाद में छोड़ दिया गया,

इसके बाद आलम यह हो गया था कि में दिन भर पर्चे बांटता और रात में मिलिट्री एरिया में जाकर रहता था जिससे पकड़ा नहीं जाता था, मुझे बार-बार पुलिस ने पकड़ा इसलिए लोग मेरे पास खड़े भी नहीं हुआ करते थे उनको डर रहता था कि उनके साथ खड़ा हुआ तो पुलिस हमें पकड़ लेगी, पुलिस किसी भी समय हमारे घर पर छापा मार देती थी पीछे से रास्ता था वहां से मैं भाग जाता था.

हमारे साथ वाली ज्योति एक-एक करके सभी पकड़े गए थे सभी को जेल भेज दिया गया था उनके घर पर बुरा हाल था कई लोगों को हम अपने घर से खाना बनवा कर ले जाते थे और उनके घर देते थे, एक बार पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में दीक्षांत समारोह था तो वहां में जो गाड़ियां आई थी उन पर पर्चे रख कर आ गया था जैसे ही वह चली तो वहां पर्चे से ही पर्चे उड़ गए, जिससे खलबली मच गई थी इसके बाद मुझे एक महीने तक फरार रहना पड़ा था इस दौरान में पंजाब हरियाणा जैसे प्रदेशों में रहा वहां पर भी गुपचुप तरीके से सूचनाओं का प्रचार प्रचार करता रहता था.

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