टीम हार रही थी, एक नन्हां भारतीय फैन मन की आंखो से जीत का रास्ता देख रहा था

टीम हार रही थी, एक नन्हां भारतीय फैन मन की आंखो से जीत का रास्ता देख रहा था


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१२ साल के रवि चहल की जो दिव्यांग है और क्रिकेट का सबसे बड़ा फैन है. पहले टेस्ट के दौरान इंग्लैंड के कुछ पूर्व खिलाड़ीयो ने रवि को कमेंट्री बॉक्स में बुलाकर मैच का लुत्फ उठाने का अवसर दिया जिसे वो ताउम्र नहीं भू…और पढ़ें

बचपन में ही आंखों की रोशनी खो चुके रवि का पहला प्यार है क्रिकेट, हेडिंग्ले में रोज मैदान पर आए

इंग्लैंड से राजीव की रिपोर्ट. हेडिंग्ले का मैदान जहाँ सारे लोग भारतीय टीम की हार को लेकर सदमें में थे वहीं दूसरी और एक नन्हा सा क्रिकेट फैन भी अपने फ़ेवरेट प्लेयर को स्टेडियम को चिअर करता हुआ दिखाई दिया. स्टेडियम में उपस्थित तमाम फैन्स और इस छोटे से बच्चे में फर्क सिर्फ़ इतना था की तमाम लोग शुभमन गिल ,यशस्जावी यसवाल, बेन डकेट की पारी, जसप्रीत बुमराह की गेंदबाजी  को अपनी आँखों से देखकर ख़ुश हो रहे थे वहीं यह फैन अपनी मन की आँखों से उसे देखकर आनंद ले रहा था.

हम बात कर रहे है १२ साल के रवि चहल की जो दिव्यांग है और क्रिकेट का सबसे बड़ा फैन है. पहले टेस्ट के दौरान इंग्लैंड के कुछ पूर्व खिलाड़ीयो ने रवि को कमेंट्री बॉक्स में बुलाकर मैच का लुत्फ उठाने का अवसर दिया जिसे वो ताउम्र नहीं भूल पायेंगे. क्रिकेट को लेकर जो जुनून रवि की बातों में था उससे एक बात तो साफ थी कि बिना देखे इतना बारीकी से खेल के बारें में कोई दिल से प्यार करने वाला ही बात कर सकता है.

रवि का पहला प्यार क्रिकेट 

हेडिंग्ले टेस्ट के अंतिम दिन एक 12 साल का बच्चा अपने एक हाथ में स्टिक और पिता के साथ स्टेडियम में दाखिल हुआ तो सबकी नजरे उनकी तरफ चली गई. ये 12 साल का फैन रवि था जो लगातार हर दिन मैच शुरु होने से पहले अपनी सीट पर होता था. भारतीय मूल के प्रीत चहल (रवि के पिता) कई साल पहले इंग्लैंड आकर बसे थे और रवि का जन्म इसी धरती पर हुआ. रवि के जन्म के कुछ समय बाद उन्हें पता चला की ईश्वर ने उसकी आँखों की रौशनी कहीं हद तक धूमिल कर दी है. मगर दृष्टि ना होने से हिम्मत ना हारते हुए रवि ने अपनी कमज़ोरी को ही अपना हथियार बना लिया. बचपन से ही खेल के प्रति रूचि रखने वाले रवि ने घुड़सवारी और स्विमिंग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जारी रखी. पर आखिरकार अपने सबसे बड़े पैशन क्रिकेट को ही आत्मसात कर लिया. इंग्लैंड क्रिकेट बॉर्ड के डिसेबल क्रिकेट कार्यक्रम की मुहिम से रवि जुड़े और वहाँ विशेष तरीक़े से सिखाए जाने वाले कोचिंग के तहत क्रिकेट की बारीकियाँ सिखना शुरू की.

रवि बनना चाहते हैं क्रिकेट कॉमेंट्रेटर

मैच के दौरान इंग्लैंड के तेज गेंदबाज मार्क वुड जब रवि चहल से मिले तो उनकी तारीफ़ करते हुए नहीं थके. वुड के मुताबिक़ रवि में क्रिकेट की इतनी समझ है की दिव्यांग क्रिकेट में खेले जाने वाली विशेष रूप की गेंद को वो भलीभांति पहच न कर हिट करता है. एक विशेष तरह के चश्में से यह खिलाड़ी क्रिकेट खेलते हैं जिनके कारण उन्हें एक अलग ही आत्मविश्वास मिलता है. में रवि की उज्जवल भविष्य की उम्मीद करता हूँ. रेडियो कमेंट्री के ज़रिए मैदान में टेस्ट क्रिकेट का मज़ा लेने वाले रवि चहल अपने फ़ेवरेट प्लेयर को जल्द ही मिलेंगे ऐसी उनकी ख्वाहिश है. रवि भारतीय टीम को फॉलो करते हैं और उनके पिता उनका हर कदम पर साथ देते है.

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