नदी के तट पर बना शाही किला कारीगरी का है नायाब नमूना, आज भी यहां रहता है राज परिवार, रोजाना देखने आते हैं सैकड़ों लोग

नदी के तट पर बना शाही किला कारीगरी का है नायाब नमूना, आज भी यहां रहता है राज परिवार, रोजाना देखने आते हैं सैकड़ों लोग


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Tourist Places in Rewa: मध्य प्रदेश के रीवा शहर में घूमने के लिए कई जगह हैं. सबसे खास रीवा का किला है. यह किला देश भर के उन चुनिंदा किलों में शामिल है जहां आज भी राज परिवार के सदस्य रहते हैं. यह किला अपने आप में ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है.

<strong>Tourist Places in Rewa:</strong> रीवा का किला मध्य प्रदेश के एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है. यह किला अपनी प्राचीनता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. रीवा शहर में स्थित यह किला पर्यटकों के लिए एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है. किले के पीछे दो नदियों का संगम है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और भी बढ़ाता है. रीवा किला अपने ऐतिहासिक महत्व और वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है

बघेल राजवंश की राजधानी की निशानी है यह किला.

वर्ष 1618 में राजा विक्रमदित्य सिंह ने बांधवगढ़ को पूरी तरह से छोड़ कर रीवा को अपना राज्य बनाने का फैसला लिया था. उसके बाद इस किले को नए सिरे से बनाया गया था. तब से लेकर अब तक रीवा बघेल शासकों की राजधानी रही है. बघेल शासकों के द्वारा कई महल और किले बनवाए गए.

रहस्य से कम नहीं रीवा का किला.

देशभर में राजा रजवाड़ों के द्वारा बनाए गए किले में रीवा का किला बेहद सुंदर माना जाता है. इस किले के अंदर कई महल बनाए गए हैं, जिसमें मोती महल, सोन महल, शीश महल भी शामिल हैं. इस किले में कई भूतल हैं. इसके साथ ही धरती के नीचे कई गोपनीय रास्ते भी बनाए गए हैं. ये सुरंगे आज भी मौजूद हैं.

आज भी उतना ही खूबसूरत है यह किला.

इतिहासकार असद खान ने बताया कि राजा गुलाब सिंह ने रीवा किले की मरम्मत का काम कराया था. उनके द्वारा कई गोपनीय सभागार का निर्माण भी कराया गया था. रीवा किले के संग्रहालय में आज भी बहुत सी पुरानी चीजों को संजो कर रखा गया है, जोकि किले से जुड़े हुए ऐतिहासिक महत्व को बताती हैं.

आज भी उतना ही मजबूत है.

अब रीवा किले की तस्वीर काफी बदल चुकी है, जबकि पुष्पराज सिंह रीवा के राजा हैं, जो मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. उनके द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर किले की मरम्मत का कार्य कराया गया है. यही वजह है कि ये किला आज भी वैसा ही मजबूत है जितना सदियों पहले था.

शैलानियों की पहली पसंद है रीवा किला.

मध्य प्रदेश के रीवा शहर में घूमने लायक कई जगह हैं. इसमें रीवा किला सबसे खास है. यह किला अपने आप में ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है. दूर-दूर से सैलानी इस किले को देखने के लिए आते हैं. यह किला मध्य भारत की प्राचीन और ऐतिहासिक किला में शुमार है.

किला के दरवाजे भी मनमोहक.

किले का मुख्य द्वार भारतीय वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है. दरवाजा तुर्क शैली के मेहराओं से आच्छादित है और तुर्क शैली से हद तक प्रभावित भी है. इस दरवाजे का निर्माण महाराजा विश्वनाथ सिंह जूदेव ने 1833-34 में कराया था. यह दरवाजा ऊपरहटी की ओर खुलता है.

किला और दरवाजे की नक्काशी देखने आते हैं पर्यटक.

रीवा किला का पुतरिहा दरवाजा किले का सबसे खूबसूरत दरवाजा है. अंग्रेजों ने इस दरवाजे को स्विंग गेट भी कहा था. इस गेट को कल्चुरी नरेशों के द्वारा बनवाया गया था. इतिहासकार असद खान बताते हैं कि पुतरिहा दरवाजा साढ़े 12 फीट चौड़ा और लगभग 30 फीट ऊंचा है. उस दरवाजे में भगवान शिव की शादी का पूरा मंचन दिखाया गया है. गेट में सुंदर-सुंदर अप्सराएं श्रृंगार करते हुए दिखाई दे गई हैं.

यह किला नहीं विरासत है.

मध्य प्रदेश के रीवा शहर में घूमने के लिए कई जगह हैं. सबसे खास रीवा का किला है. यह किला देश भर के उन चुनिंदा किलों में शामिल है जहां आज भी राज परिवार के सदस्य रहते हैं. यह किला अपने आप में ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है. दूर दूर से सैलानी इस किले को देखने के लिए आते हैं.

प्रकृति भी मेहरबान है यहां.

रीवा का किला रीवा की जीवनदायिनी नदी बीहर के तट पर बना हुआ है, जिसकी बजह से इसका सुबह और शाम का दृश्य और मनोरम हो जाता है. खास कर मानसून सीजन में देश भर से पर्यटक यहां आते हैं.

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रीवा का शाही किला कारीगरी का है नायाब नमूना, आज भी यहां रहते हैं ‘राजा’



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