देवास जिले के उदयनगर थाना क्षेत्र में एक ही परिवार के चार लोगों ने सामूहिक रूप से जहर खाकर जान दे दी। मरने वालों में पति-पत्नी और उनकी दो बेटियां शामिल हैं। सामाजिक बहिष्कार और दबाव की वजह से उन्होंने यह कदम उठाया।
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बताया जा रहा है कि परिवार के बेटे के अपनी ही रिश्तेदारी में एक शादीशुदा महिला से प्रेम संबंध थे, जिससे नाराज समाज के लोगों ने परिवार का बहिष्कार कर दिया था। इसी सामाजिक दबाव में परिवार ने खेत में जाकर जहरीला पदार्थ पी लिया। हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर आत्महत्या की वजह की पुष्टि नहीं हुई है।
देवास एएसपी ग्रामीण एचएन बाथम ने कहा, मंगलवार शाम को मां-दोनों बेटियों का अंतिम संस्कार हो गया। पुलिस मामले में जांच कर रही है। आगे जो भी उचित कार्रवाई होगी, वो करेंगे।
घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। घटना के बाद दैनिक भास्कर टीम धोबघट्टा गांव पहुंची और मरने वालों के परिजनों और ग्रामीणों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट…
पहले पूरा घटनाक्रम जान लीजिए… 21 जून की रात को गांव के भिलाला समाज के एक परिवार के 4 सदस्य रात करीब 10.30 बजे राधेश्याम (50), पत्नी रंगु बाई (48) और दो बेटियां आशा (23) और रेखा ने जहरीला पदार्थ खा लिया।
इसके बाद सभी को गंभीर हालत में इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां राधेश्याम की रविवार रात को इलाज के दौरान मौत हो गई। जबकि सोमवार को पत्नी रंगु बाई और बेटी आशा ने भी दम तोड़ दिया। वहीं, दूसरी बेटी रेखा की मौत मंगलवार को हो गई।
एक ही चिता पर दी मां-बेटी को अंतिम विदाई मंगलवार को राधेश्याम की पत्नी रंगुबाई और दो बेटियों रेखा और आशा का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार हुआ। लोहार नदी के किनारे शाम 6 बजे अंतिम संस्कार में पूरा गांव उमड़ पड़ा। क्षेत्रीय विधायक मुरली भंवरा ने भी पहुंचकर श्रद्धांजलि दी और परिजनों को सांत्वना दी। विधायक ने कहा कि प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। करीब 800 की आबादी वाले इस गांव में परिजनों ने भड़काने वाले लोगों पर कार्रवाई की मांग की है।

लोहार नदी के किनारे शाम 6 बजे अंतिम संस्कार में पूरा गांव उमड़ पड़ा।
बेटे का प्रेम प्रसंग बताया जा रहा सुसाइड की वजह सामूहिक आत्महत्या की वजह परिवार के बेटे सोहन का प्रेम प्रसंग बताया जा रहा है। हालांकि इस बारे में परिवार के किसी सदस्य ने कैमरे पर बातचीत नहीं की। लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि राधेश्याम के बेटे का परिवार की ही एक महिला से प्रेम प्रसंग है, वह महिला 3 बच्चों की मां है। दिसंबर महीने में सोहन महिला को अपने साथ कहीं बाहर लेकर गया था।
इसके बाद समाज के लोगों ने राधेश्याम के परिवार का समाज से बहिष्कार करने की बात कही थी, जिससे दुखी होकर परिवार ने जहर खा लिया। दो बीघा जमीन के मालिक इस परिवार की आजीविका खेती-बाड़ी से चलती थी और दोनों बेटियां भी परिवार के साथ खेती में मदद करती थीं।

इतनी बड़ी घटना की सूचना मिलते ही राधेश्याम के रिश्तेदार और ग्रामीण उनके घर पहुंच गए।
चारों अलग-अलग बेहाल पड़े थे राधेश्याम के चाचा कालू कन्नौजे ने बताया कि परिवार ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। राधेश्याम ने कभी इस बारे में कोई बात नहीं की थी। शनिवार को राधेश्याम और मैं पूरे दिन साथ में खेत पर काम कर रहे थे। उस दिन उनका उपवास भी था। बच्चियां तो खुश नजर आ रही थीं, लेकिन राधेश्याम थोड़ा नाराज सा लग रहा था। चारों ने खेत पर ही फसल में डालने वाली जहरीली दवा खा ली।
उस वक्त राधेश्याम की मां भी खेत पर ही मौजूद थीं। जब उन्हें घटना का पता चला तो वह तुरंत हमारे घर आईं और हमें इसकी जानकारी दी। हम सभी भागकर खेत पर पहुंचे तो देखा कि वहां चारों अलग-अलग जगह बेहाल पड़े थे। इसके बाद हम तुरंत उन्हें अस्पताल लेकर गए। खेत हमारे घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है।

भाई बोला- कुछ लोग परेशान कर रहे थे फाइनेंस सेक्टर में काम करने वाले राधेश्याम के सबसे छोटे भाई कमल कन्नौजे ने बताया कि कुछ लोग राधेश्याम को परेशान कर रहे थे, इसी दबाव में उन्होंने यह कदम उठाया। जिन लोगों पर हमें शक है, उनके नाम हमने पुलिस को दे दिए हैं। घटना वाले दिन मैं इंदौर में था।
गांव से फोन आया, तब जाकर पता चला। सरपंच की मदद से सभी को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चारों की मौत हो गई। परिवार के सभी लोग खेत में काम करते थे। भैया की दो बीघा जमीन है। दोनों बेटियां 11वीं-12वीं तक पढ़ी थीं।

आशा, रेखा समेत पांच बच्चों के पिता थे राधेश्याम आशा और रेखा समेत राधेश्याम के पांच बच्चे हैं। सबसे बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। उससे छोटा सोहन (18) है, जिसे तीन बच्चों की मां से प्यार हो गया था। ग्रामीणों के अनुसार, सोहन के इस कदम से परिजनों में रोष व्याप्त था। कुछ लोग सामाजिक प्रेशर बना रहे थे। जबकि सोहन जनवरी से ही अपने परिवार से दूर था।
राधेश्याम के पास दो बीघा जमीन है, जिससे वह जीवन यापन करता था। मरने के पहले भी उसने दिन भर अपने खेत पर काम किया था। किसी को एहसास नहीं होने दिया कि आज रात को वह अपने परिवार के साथ इस तरह का कदम उठा लेगा।
सरपंच ने कहा, 5-6 महीने से डिप्रेशन में था
सरपंच जितेंद्र सोलंकी ने कहा कि राधेश्याम उनसे अपनी बातें शेयर करते थे, लेकिन इतना बड़ा कदम उठाने की बात नहीं बताई। उन्होंने कहा कि सामाजिक स्तर पर या अन्य किसी प्रकार से जो भी दोषी हो, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। सरपंच ने बताया,

मैं घर पर ही था, खाना खाकर सो गया था। रात करीब 11 बजे दो-तीन ग्रामीण मेरे घर आए और बताया कि राधेश्याम के परिवार ने जहर खा लिया है। लोअर-टीशर्ट में ही मैंने तत्काल गाड़ी निकाली और उनके खेत पर पहुंचा। वहां देखा कि चारों लोग इधर-उधर पड़े थे। हम कुछ लोग उन्हें तत्काल अस्पताल लेकर पहुंचे। सुबह तक उनकी हालत ठीक थी। लेकिन रविवार रात राधेश्याम की डेथ हो गई। अगले दिन उनकी पत्नी और एक बेटी की मौत हो गई। मंगलवार को दूसरी बच्ची की भी मौत हो गई। डॉक्टरों ने हमें बताया कि जहर पूरे शरीर में फैल गया था, इसलिए उन्हें बचाना मुश्किल था। सरपंच होने के नाते मुझे जानकारी मिली कि 5-6 महीने पहले उनका बेटा उन्हीं के परिवार की एक महिला को लेकर कहीं चला गया था। उसके बाद से ही वे परेशान थे, लेकिन यह नहीं सोचा था कि इतना बड़ा कदम उठा लेंगे।
