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यूं तो पुरी का जगन्नाथ मंदिर अपने आप में कई ऐसे रहस्यों को समेटे हुए है, जिनके बारे में आज तक कोई नहीं पता लगा पाया है. वहीं, पुरी मंदिर में विराजमान भगवान जगन्नाथ की मूर्ति भी इस धाम के अनसुलझे रहस्यों में से …और पढ़ें
उज्जैन. हिंदू धर्म में भगवान की पूजा व आराधना का विशेष महत्व है. भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहां अलग-अलग देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमा विराजमान है. ऐसे ही हैं भगवान जगन्नाथ, जिन्हें जगत के नाथ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं. भगवान जगन्नाथ की मुख्य लीला भूमि ओडिशा की पुरी है. पुरी को पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है. लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि बड़ी-बड़ी आंखें, नाक में नथ और अधूरा शरीर, भगवान जगन्नाथ का स्वरूप आखिर ऐसा क्यों है?
किसने बनाई थी अधूरी प्रतिमा
राजा ने विश्वकर्मा जी की शर्त का किया अनादर
विश्वकर्मा जी ने जैसे ही काम शुरू किया, बहुत समय निकल गया. राजा विश्वकर्मा से पूछे कितना और बचा है, तो विश्वकर्मा कुछ नहीं बताए, लेकिन राजा के मन में हमेशा यह इच्छा थी कि वह मूर्ति का निर्माण होता हुआ देखें. ऐसे में राजा दरवाजे के दूसरी तरफ खड़े होकर मूर्ति बनने की आवाज सुनते. एक दिन राजा को अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो, उन्हें लगा कि मूर्तियों का काम पूरा हो गया इसलिए आवाज नहीं आ रही. राजा को जैसे ही लगा अब काम पूरा हो गया, चलो प्रभु के दर्शन करते हैं. ऐसे में राजा ने कमरे का दरवाजा खोल दिया और यह देखकर विश्वकर्मा नाराज होकर अंतर्ध्यान हो गए. कहते हैं कि तभी से भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और सुभद्रा की मूर्ति अधूरी रह गई.