क्या होता है नवकलेवर? भगवान जगन्नाथ से जुड़ा है अद्भुत रहस्य, हर 12 साल में पुरी में होता है चमत्कार

क्या होता है नवकलेवर? भगवान जगन्नाथ से जुड़ा है अद्भुत रहस्य, हर 12 साल में पुरी में होता है चमत्कार


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Jagannath Rath Yatra 2025: उज्जैन में 27 जून को इस्कॉन मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाएगी, जो भक्तों के लिए मोक्ष प्राप्ति का अवसर मानी जाती है. आज हम महत्वों के बारे में बताएंगे.

हाइलाइट्स

  • भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 27 जून से शुरू होगी.
  • हर 12 साल में पुरी में नवकलेवर अनुष्ठान होता है.
  • नवकलेवर में भगवान जगन्नाथ की मूर्तियाँ बदली जाती हैं.

उज्जैन. हिंदू धर्म में भगवान की पूजा व आराधना का विशेष महत्व है. भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां अलग-अलग देवी-देवताओं विराजमान हैं. ऐसे ही हैं भगवान जगन्नाथ, जिन्हें जगत के नाथ भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं. भगवान जगन्नाथ की मुख्य लीला भूमि ओडिशा की पुरी है. पुरी को पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है. उज्जैन में भी हर साल देवास रोड स्थित इस्कॉन मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है. इस दिन का इंतजार भक्त बेसब्री के साथ पूरे साल करते हैं. रथयात्रा का आरंभ आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानि 27 जून से हो रहा है, जिसमें भारी मात्रा में भक्तों का सैलाब शामिल होता है. कहा जाता है कि जो लोग इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही काम, क्रोध और लोभ से छुटकारा मिलता है.

रोचक है नवकलेवर का अर्थ
उज्जैन इस्कॉन मंदिर के पीआरो पंडित राघव ने बताया कि जगन्नाथ मंदिर को लेकर कई ऐसे रहस्य हैं, जो काफी चौंकाने वाले हैं. इन्हीं में से एक यह भी है कि हर 12 साल में इस धाम की मूर्तियों को बदल दिया जाता है. दरअसल, इस अनुष्ठान को ‘नवकलेवर’ के नाम से जाना जाता है. नवकलेवर का अर्थ है, नया शरीर, इस परंपरा के अंतर्गत जगन्नाथ मंदिर में स्थापित श्री जगन्नाथ, बालभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन की प्रतिमा को बदला जाता है, जिसके पीछे कारण है कि ये प्रतिमाएं लकड़ी से बनाई जाती हैं और वे खंडित न हों इस वजह से उन्हें बदला जाता है.

गुप्त रूप से निभाई जाती है परम्परा 
इस नवकलेवर परंपरा में मूर्तियां जब बदली जाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब यह पवित्र अनुष्ठान शुरू होता है. उस दौरान पूरे शहर की लाइट को बंद करवा दिया जाता है, जिससे हर जगह अंधेरा हो जाए. यह परंपरा बहुत गुप्त होती है. इतना ही नहीं, यह परंपरा मंदिर के मुख्य पुजारियों द्वारा निभाई जाती है और वो भी भगवान को नहीं देखते हैं.

आज भी धड़कता है श्रीकृष्ण का दिल
ऐसी मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी देह त्यागी, उस समय उनका दिल पुरी में ही रह गया और आज भी वो मूर्तियों के बीच ब्रह्म रूप में मौजूद हैं. जिस समय श्री कृष्ण का अंतिम संस्कार हुआ, वह अपना ह्रदय छोड़ गए. यहां की मूर्तियों में साक्षात रूप में भगवान जगन्नाथ मौजूद होते हैं, इसलिए उनके पूजन को आज भी भक्त शुभ मानते हैं.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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क्या होता है नवकलेवर? भगवान जगन्नाथ से जुड़ा है अद्भुत रहस्य

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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