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Pakad Tree in Hindu Mythology: हिंदू धर्म में इस पौधे का खास महत्व है, हड्डियां मजबूत करने से लेकर मधुमेह की बीमारी तक ये कई तरह की बीमारियों में रामबाण साबित होता है.
हाइलाइट्स
- पाकड़ वृक्ष हड्डियों को मजबूत करता है.
- पाकड़ की पत्तियां मधुमेह नियंत्रित करने में सहायक हैं.
- बरसात में पाकड़ के पौधे रोपना अच्छा रहता है.
Pakad Tree ke fayde. जिस तरह हिंदू धर्म में पारिजात और कल्पवृक्ष जैसे वृक्षों का महत्व है वैसे ही पाकड़ वृक्ष का भी महत्व बताया गया है. पाकड़ वृक्ष के नीचे ही काकभुशुण्डि जी ने रामकथा सुनाई थी. इसका लेख रामायण के उत्तर काण्ड में भी मिलता है. छतरपुर जिले में इसे पाखर के नाम से जाना जाता है. हालांकि, इसे अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है. बता दें, यह वृक्ष बरगद की तरह विशाल हो जाता है.
लोमश ऋषि के शाप के चलते काकभुशुण्डि कौवा बन गए थे. लोमश ऋषि ने शाप से मुक्त होने के लिए उन्हें राम मंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान दिया. कौवे के रूप में ही उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत किया. वाल्मीकि से पहले ही काकभुशुण्डि ने रामायण गिद्धराज गरूड़ को सुना दी थी.
बरसात में लगाने का है सही समय
10 साल से लाखों पौधों को तैयार करने वाले डॉक्टर राजेश अग्रवाल बताते हैं कि पाकड़ के लिए उत्तरी भारत की जलवायु बेहद मुफीद होती है. यह नमी में तेजी से पनपता है. ये 5 साल में तैयार हो जाता है. किसी भी मिट्टी में आसानी से उग जाता है, पर हल्की बलुई व चिकनी मिट्टी बेहतर रहती है. बरसात के समय इसके पौधे रोपना अच्छा रहता है. छतरपुर जिले में इस पौधे को लगाने के लिए लोग उत्साहित हैं.
औषधीय गुणों से भरपूर है
छाल का काढ़ा हड्डियां मजबूत करता है. पत्तियां मधुमेह नियंत्रित रखने के काम आती हैं. चोट लगने या कटने पर छाल का चूर्ण डालने से रक्त स्नाव बंद हो जाता है. नासूर के लिए पाकड़ रामबाण औषधि है. पाकड़ की छाल का काढ़ा पीना लाभप्रद होता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.