बाघों को मिलेगा नया ठिकाना! युवाओं को मिलेगा रोजगार, वन गाइड, ट्रैकिंग, इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा

बाघों को मिलेगा नया ठिकाना! युवाओं को मिलेगा रोजगार, वन गाइड, ट्रैकिंग, इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा


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Panna Tiger Reserve: पन्ना टाइगर रिजर्व के हिस्से के डूबने के चलते बाघों के लिए नया बसेरा तैयार! सरभंगा और परसमनिया को कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित करने की तैयारी, प्रस्ताव तैयार कर 15 अगस्त तक ग्राम सभाएं कराने के निर्देश. लोकल 18 को मिली जानकारी के अनुसार प्रस्तावित क्षेत्र 537 वर्ग किमी होगा…

केन-बेतवा लिंक परियोजना के चलते पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र का करीब 25% हिस्सा जलमग्न हो जाएगा. ऐसे में बाघ और अन्य वन्य प्राणी नए क्षेत्र की तलाश में निकलेंगे. इसी के मद्देनज़र सरभंगा और परसमनिया वन क्षेत्र को नया कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित करने की तैयारी जोरों पर है.

सतना

वन्य जीवों की सुरक्षित आवाजाही और नए ठिकाने की जरूरत को देखते हुए ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप प्लान तैयार किया गया है. इसका मकसद है कि विस्थापित हो रहे जीवों को प्राकृतिक और सुरक्षित वातावरण दिया जाए ताकि उनका जैविक संतुलन बना रहे.

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जानकारी के लिए बता दें कि 20 जून को पन्ना में आयोजित हुई बैठक में एपीसीसीएफ एल. कृष्णमूर्ति और पूर्व फील्ड डायरेक्टर आर. श्रीनिवास मूर्ति सहित कई वन्यजीव विशेषज्ञों ने भाग लिया. इस मीटिंग में सतना के डीएफओ ने सरभंगा अभयारण्य को लेकर प्रेजेंटेशन दिया जिसे काफी सराहा गया था.

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नागौद विधायक नागेन्द्र सिंह ने पहले ही पत्र के माध्यम से क्षेत्र के संरक्षण की मांग की थी. इसके बाद सांसद गणेश सिंह की अध्यक्षता में कलेक्टर सभागार में बैठक हुई जिसमें 15 अगस्त को ग्राम सभाएं कराने और प्रस्ताव सीएम को भेजने का निर्णय लिया गया है.

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वन विभाग की ओर से तैयार हो रहे प्रस्ताव के मुताबिक 537 वर्ग किलोमीटर में फैला यह नया कन्जर्वेशन रिजर्व क्षेत्र होगा. यह रिजर्व पारंपरिक रिज़र्व फॉरेस्ट या नेशनल पार्क से अलग होगा और इसमें स्थानीय लोगों के अधिकारों पर कोई सख्त पाबंदी नहीं होगी.

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संरक्षण रिजर्व वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 36A के तहत अधिसूचित किया जाता है. यह एक ऐसा बफर ज़ोन होता है जो नेशनल पार्कों और जंगलों के बीच कनेक्टिविटी बनाता है. यह रिजर्व जानवरों को एक सुरक्षित रास्ता देता है ताकि वे आसानी से क्षेत्र बदल सकें.

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वनमंडलाधिकारी मयंक चांदीवाल ने लोकल 18 को जानकारी दी कि राज्य शासन चाहें तो किसी क्षेत्र को स्थानीय मांग के अनुसार कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित कर सकता है. इसमें स्थानीय लोगों के वनाधिकारों पर कोई विशेष पाबंदी नहीं होती है जिससे उन्हें आजीविका में कोई दिक्कत नहीं आती.

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स्थानीय युवाओं को वन गाइड, ट्रैकिंग, इको-टूरिज्म जैसे क्षेत्रों में रोजगार मिलेगा. ग्रामीणों की जंगल से जुड़ी पारंपरिक गतिविधियां जैसे मधु संग्रह, लकड़ी इकट्ठा करना आदि यथावत रहेंगी. साथ ही क्षेत्र में पर्यटन विकास से गांवों की अर्थव्यवस्था को जो बढ़ावा मिलेगा वो अलग.

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बाघों को मिलेगा नया ठिकाना! युवाओं को मिलेगा रोजगार, इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा



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