मैदान मारा, घर में बोल्ड…नई पारी ने सिक्सर किंग को उलझाया, रिंकू सिंह को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी?

मैदान मारा, घर में बोल्ड…नई पारी ने सिक्सर किंग को उलझाया, रिंकू सिंह को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी?


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Rinku Singh BSA : पहले क्रिकेट में धमाकेदार एंट्री, फिर सांसद से सगाई और अब सरकारी अधिकारी बनने का मौका, सिक्सर किंग रिंकू सिंह ने गर्दा काट रखा है. हालांकि इस नई पारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

अलीगढ़. सिक्सर किंग के नाम से मशहूर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रिंकू सिंह अब जिंदगी की एक नई पारी खेलने की तैयारी में हैं. जिस लड़के ने अलीगढ़ की गलियों से निकलकर भारत का नाम रोशन किया, उसी रिंकू को अब उत्तर प्रदेश सरकार की एक खास नीति के तहत सरकारी अधिकारी बनाने की योजना पर विचार हो रहा है. चर्चा है कि उन्हें बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है. यह खबर सामने आते ही न केवल रिंकू के चाहने वालों में खुशी की लहर दौड़ गई, बल्कि पूरे प्रदेश में गर्व की भावना देखी जा रही है.

सबसे बड़ी बाधा

अलीगढ़ के वरिष्ठ समाजसेवी प्रशांत हितैषी बताते हैं कि इस सम्मानजनक पद तक पहुंचने की राह इतनी आसान नहीं है. सरकार की जिस नीति के तहत यह नियुक्ति होनी है, उसमें खिलाड़ियों को श्रेणी-2 के राजपत्रित अधिकारी पद पर नियुक्ति देने का प्रावधान है. इस नीति के अंतर्गत रिंकू सिंह समेत सात खिलाड़ियों के नाम की संस्तुति की गई है. लेकिन रिंकू के लिए समस्या यह है कि बीएसए पद के लिए जरूरी शैक्षिक योग्यता पोस्ट ग्रेजुएशन उनके पास नहीं है. वह अभी हाईस्कूल भी पास नहीं कर सके हैं, ऐसे में नियमावली में मौजूद सात साल की शैक्षणिक शिथिलता का लाभ भी उन्हें इस पद तक पहुंचाने में शायद नाकाफी साबित हो.

प्रशांत हितैषी कहते हैं कि अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है और उच्च स्तर पर विचार-विमर्श जारी है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि या तो नियमों में बदलाव किया जा सकता है, या फिर रिंकू को कोई अन्य समान स्तर का पद दिया जा सकता है. इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रतिभा के सम्मान में नियमों को लचीला किया जाना चाहिए? या फिर योग्यता की कसौटी पर हर किसी को बराबर परखा जाना चाहिए?

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