रीवा में शुक्रवार रात भव्य जगन्नाथ यात्रा निकाली गई। जहां भगवान जगन्नाथ की यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। यात्रा की शुरुआत रीवा के प्रसिद्ध लक्ष्मण बाग मंदिर से हुई। जहां भगवान पूरे ठाठ बाट के साथ रथ में सवार होकर निकले। देश के बड़े संत वल्लभाचार्
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जहां से यात्रा बिछिया होते हुए किला परिसर आ गई। फिर किला से फोर्ट रोड होते हुए घोड़ा चौराहा, जय स्तंभ होकर पुराना बस स्टैंड,कॉलेज चौराहा होते हुए मानस भवन पहुंची। जहां भगवान आज रात में विश्राम करेंगे। कल दोपहर पूजन भोग प्रसाद के बाद भगवान यहां से अपने स्थान लक्ष्मण बाग प्रस्थान करेंगे।
रीवा के लक्ष्मण बाग मंदिर में भगवान जगन्नाथ को लू लग जाती है और फिर शुरू होता है उपचार का सिलसिला। इस उपचार को करते हैं देव बैद्य ओमप्रकाश पंसारी, जो औषधीय स्नान, जड़ी-बूटियों और पारंपरिक डंडाई से भगवान को स्वास्थ्य लाभ दिलाते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसमें भगवान यह को इंसानों की तरह बीमार मानकर उनका इलाज किया जाता है।
यह यात्रा 17वीं शताब्दी से चली आ रही एक परंपरा है, जिसे महाराजा भाव सिंह ने शुरू किया था। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ शहर में भ्रमण करता है, और भक्त जगह-जगह पर रथ का स्वागत करते हैं। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ को बीमार मानकर उनका उपचार किया जाता है, जिसके बाद वह स्वस्थ होकर भक्तों का हालचाल जानने के लिए रथ यात्रा पर निकलते हैं।
शहर के घोड़ा चौराहे पर व्यापारी संघ ने भगवान का भव्य स्वागत किया। आरती उतारी गई और 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया गया। इस दौरान जमकर पुष्प वर्षा भी की गई। रथ यात्रा को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल मौजूद रहा।
यात्रा का स्वागत करने पहुंचे भाजपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि हम बचपन से यात्रा का स्वागत कर रहे हैं। काफी दिनों पहले से ही भगवान की इस यात्रा को लेकर लोगों के मन में अथाह उत्साह का भाव रहता है।
व्यापारी संघ के अध्यक्ष नरेश काली ने बताया कि रीवा में व्यापारी संघ हमेशा से भगवान की इस यात्रा का स्वागत करता आया है और आगे भी करता रहेगा। हम सब यात्रा को लेकर पहले से ही तैयारी शुरू कर देते है। आज भगवान को 56 भोग और कड़ी चावल का भोग लगाया है। हजारों श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटा गया है।