कभी जूनियर आर्टिस्ट के रूप में कमाते थे 600, अब एक दिन में 25000, टीम इंडिया के स्टार ने बताई कहानी

कभी जूनियर आर्टिस्ट के रूप में कमाते थे 600, अब एक दिन में 25000, टीम इंडिया के स्टार ने बताई कहानी


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भारतीय स्पिनर वरुण चक्रवर्ती (Varun Chakravarthy) ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया कि क्रिकेट खेलने से पहले वे फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट के रूप में 600 रुपये प्रतिदिन कमाते थे.

कभी जूनियर आर्टिस्ट के रूप में कमाते थे 600 रुपए कमाते थे वरुण.

नई दिल्ली. भारतीय स्पिनर वरुण चक्रवर्ती (Varun Chakravarthy) ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया कि क्रिकेट खेलने से पहले वे फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट के रूप में 600 रुपये प्रतिदिन कमाते थे. चक्रवर्ती, जिनकी आर्किटेक्चर से स्पिन गेंदबाजी में बदलाव की कहानी काफी मशहूर है. उन्होंने अब यह भी बताया कि उन्होंने संगीत और फिल्मों में भी हाथ आजमाया था. वे जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम करते हुए शॉर्ट फिल्में भी निर्देशित करते थे.

वरुण ने एक कहा, “मेरे कुछ दोस्त फिल्म इंडस्ट्री में थे और मैं उनके साथ शूटिंग पर जाने लगा. मैंने देखा कि वे कई क्रिकेट ग्राउंड्स पर ‘जीवा’ नाम की फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. मैं वहां असिस्टेंट डायरेक्टर बनने गया था, लेकिन वह काम नहीं बना.फिर एक एडी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं क्रिकेट खेलता हूं. मैंने कहा, ‘सिर्फ टेनिस-बॉल क्रिकेट.’ तो फिर मुझे इस फिल्म में जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम करने का मौका मिला, जहां मुझे 600 रुपये प्रतिदिन का वेतन मिलता था. और उस समय यह काफी मददगार था.”

जब वे अपनी फिल्म के काम के वेतन के बारे में बात कर रहे थे, तो उन्हें उनसे भारत और कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए क्रिकेट खेलने के दौरान मिलने वाले दैनिक भत्ते की तुलना करने को कहा, इसपर उन्होंने कहा, “मुझे 300 यूएसडी (25,652.78 रुपये प्रतिदिन) मिलते हैं.” बता दें कि भारत और केकेआर के प्रमुख गेंदबाज चक्रवर्ती बाद में आर्किटेक्चर में लौटे और अपनी फर्म भी खोली, लेकिन चक्रवात वरदा के कारण अपनी सारी बचत खो बैठे. इससे उन्हें संगीत, फिल्मों और अंततः क्रिकेट की ओर धकेल दिया.

चक्रवर्ती, जो इस दौर में सप्ताहांत पर टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते थे. उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें फिल्में इतनी पसंद थीं कि उन्होंने स्क्रिप्ट लिखना और शॉर्ट फिल्में निर्देशित करना शुरू कर दिया. “शूटिंग 20 दिनों तक चली और मुझे पूरा प्रोसेस बहुत पसंद आया. फिर मैंने कुछ कहानियां और स्क्रिप्ट लिखना शुरू किया, लेकिन जब मैंने कुछ लोगों को पिच किया, तो मुझे एहसास हुआ कि मैं भावनाओं को सही तरीके से पकड़ रहा था, लेकिन उन्हें स्क्रीनप्ले में बदलने में सक्षम नहीं था. मैंने कुछ शॉर्ट फिल्में निर्देशित कीं.”

Contact: satyam.sengar@nw18.com

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