क्यों बर्बाद हो गए विनोद कांबली, इंग्लैंड के साथी ने बताई बदहाली की वजह

क्यों बर्बाद हो गए विनोद कांबली, इंग्लैंड के साथी ने बताई बदहाली की वजह


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Vinod Kambli Never Cared About Money : पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली ने कभी भी पैसों की परवाह नहीं की इस बात का खुलासा उनके काउंटी क्रिकेट के साथी ने किया है.

सचिन तेंदुलकर जैसे ही छोटी उम्र में विनोद कांबली ने टीम इंडिया में बनाई थी जगह

नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार बल्लेबाज रहे विनोद कांबली आज बदहाली की जिंदगी गुजार रहे हैं. पूर्व क्रिकेटर के दोस्त और यॉर्कशायर में क्लब टीम के साथी ने 90 के दशक में उनके काउंटी के दिनों की कुछ बातें शेयर की है. उन्होंने बताया कि कई लोग उन्हें प्यार से याद करते हैं. कुछ अभी भी उनके जबरदस्त टैलेंट और कॉन्फिडेंस पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं. उस समय सचिन तेंदुलकर यॉर्कशायर में काउंटी चैंपियनशिप खेलने वाले पहले भारतीय बने थे. कांबली जो मास्टर ब्लास्टर के बचपन के दोस्त थे उनके साथ पहुंचे और फिर पास के एक क्लब में शामिल हो गए.

कांबली के दोस्त नासा हुसैन द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “एक दक्षिण एशियाई के रूप में सचिन का यॉर्कशायर में शामिल होना बड़ी खबर थी. मैं आपको बताता हूं कि इससे भी बेहतर क्या था. वह अपने साथ अपने दोस्त विनोद कांबली को लाए जो हमारे लीग में खेले. मैंने कभी किसी को नहीं देखा जो गेंद को इतनी जोर से मारता हो.”

“वह बस ट्रैक पर दौड़ते हुए आते और पहली गेंद को छक्के के लिए मारते, और आप सोचते, ‘ठीक है’. भारत से एक युवा जिसे पहले कभी नहीं देखा, कभी नहीं सुना, और वह बस आता है और धमाका करता है. बाद में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ दो दोहरे शतक बनाए. वह कुछ टैलेंट था. आज के समय में वह आदमी करोड़पति होता.”
कुछ दोस्त अभी भी उनकी चिंता करते हैं, उनकी शराब की समस्याओं और लगातार अस्पताल की रिपोर्ट सुनकर. वे याद करते हैं कि वह पैसे संभालने में कभी अच्छे नहीं थे.

एक अन्य साथी ने बताया, “एक दिन हम बैठे थे, 10 क्रिकेटर इसमें विनोद और सचिन के अलावा सभी के पास पार्ट-टाइम जॉब्स थे . तो मुंबई के एक क्रिकेटर ने विनोद से पूछा – ‘चूंकि तुम सिर्फ 25 पाउंड प्रति मैच कमाते हो, क्यों न सॉली के किसी स्थान पर काम कर लो?’ कांबली ने एक मिनट भी नहीं सोचा, तुरंत जवाब दिया: ‘मैं और सचिन टेस्ट क्रिकेट खेलकर पैसे कमाएंगे, मैं पार्ट-टाइम जॉब्स में ध्यान नहीं भटकाना चाहता.’ वह असाधारण था, क्या आत्मविश्वास था. वह बहुत युवा थे, टेस्ट बल्लेबाज बनने से बहुत दूर थे लेकिन उनके पास आत्मविश्वास था,”

आदम ने बाद में अपनी किताब में कांबली को एक चेप्टर डेडिकेट किया और लिखा: “विनोद, जब वह भारत लौटे, तो अपने पिता से सारा पैसा ले लिया और अपने दोस्तों के साथ खर्च कर दिया … विनोद को कभी पैसे की परवाह नहीं थी, न ही उन्हें वस्तुओं का कोई सम्मान था.”

Viplove Kumar

15 साल से ज्यादा वक्त से खेल पत्रकारिता से सक्रिय. Etv भारत, ZEE न्यूज की क्रिकेट वेबसाइट में काम किया. दैनिक जागरण वेबसाइट में स्पोर्ट्स हेड रहा. ओलंपिक, कॉमनवेल्थ, क्रिकेट और फुटबॉल वर्ल्ड कप कवर किया. अक्टूब…और पढ़ें

15 साल से ज्यादा वक्त से खेल पत्रकारिता से सक्रिय. Etv भारत, ZEE न्यूज की क्रिकेट वेबसाइट में काम किया. दैनिक जागरण वेबसाइट में स्पोर्ट्स हेड रहा. ओलंपिक, कॉमनवेल्थ, क्रिकेट और फुटबॉल वर्ल्ड कप कवर किया. अक्टूब… और पढ़ें

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