खेती करने वाले किसानों के सामने मौसम, बीज, सिंचाई और बाजार जैसी कई चुनौतियां होती हैं, लेकिन इन सबके बीच एक और बड़ी मुसीबत है खरपतवार. इनमें से एक घास है जिसे किसान “खेती का कैंसर” तक कहते हैं. इसका नाम है मोथा घास, जिसे नागरमोथा भी कहा जाता है. यह घास न सिर्फ खेत में फैलती है, बल्कि फसल से पानी, खाद और जरूरी पोषक तत्व खींच लेती है, जिससे उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होता है.
मोथा घास एक हानिकारक खरपतवार है जो मिट्टी के अंदर ही अंदर फैलता है. इसकी जड़ें काफी मजबूत होती हैं और यह घास तेज़ी से पूरे खेत में पांव पसार लेती है. खास बात यह है कि यह दिखने में आम घास की तरह नहीं होती, जिससे कई किसान इसे शुरुआत में पहचान नहीं पाते. जब तक पता चलता है, तब तक यह फसल पर कब्जा जमा चुकी होती है. यह घास खेत की नमी और उर्वरक चुपचाप चुरा लेती है, जिससे असली फसल कमजोर पड़ने लगती है. इसके साथ ही यह कीटों और बीमारियों को भी आकर्षित करती है, जिससे खेत में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है.
फसल को नुकसान कैसे होता है?
फसल को मिलने वाला पोषण और पानी मोथा घास खींच लेती है
उत्पादन में 30 से 50% तक की गिरावट आ सकती है
बीज और फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है
खरपतवार नियंत्रण में समय, श्रम और पैसा अधिक खर्च होता है
अगर समय पर इलाज न हो, तो खेत लंबे समय तक प्रभावित हो सकता है
अब बात करते हैं उन उपायों की जिन्हें अपनाकर किसान इस नुकसानदायक घास से छुटकारा पा सकते हैं.
1. गर्मी में गहरी जुताई करें
मोथा घास से बचने का सबसे पहला और प्राकृतिक तरीका है – गर्मी के मौसम में खेत की गहरी जुताई.
जब गर्मी तेज हो और तेज धूप हो रही हो, उस समय खेत को गहराई से जोत दें.
इससे मिट्टी में छिपे हुए घास के बीज सतह पर आ जाते हैं और तेज धूप में सूखकर नष्ट हो जाते हैं.
इस दौरान खेत में पानी न दें, क्योंकि नमी मिलने पर ये बीज फिर से अंकुरित हो सकते हैं. यह उपाय खेत की उर्वरता भी बढ़ाता है और मिट्टी में मौजूद कीट भी मर जाते हैं.
अगर मोथा घास पूरे खेत में फैल चुकी है, तो उसे खत्म करने के लिए रासायनिक हर्बीसाइड का सहारा लिया जा सकता है. ऐसे खेत में जहां कोई फसल न हो, वहां Glyphosate 71% SG युक्त दवा जैसे “मेरा 71 एक्सेल” का छिड़काव करें. इस दवा को छिड़कने के बाद एक हफ्ते के अंदर घास पीली पड़कर खत्म हो जाती है. ध्यान रहे कि यह दवा फसल के खेत में न डाली जाए क्योंकि यह सभी हरी पत्तियों पर असर डालती है.
अगर खेत में फसल (जैसे मक्का, गन्ना आदि) लगी हो और मोथा घास दिख रही हो, तो वहाँ सेम्प्रा (Sempra Herbicide) का उपयोग करें. यह खासतौर पर मोथा घास को ही खत्म करता है और फसल को नुकसान नहीं पहुंचाता. दवा छिड़कने से पहले फसल की अवस्था और मात्रा की जांच ज़रूर करें.
समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें
खेत में जल जमाव न होने दें
फसल चक्र अपनाएं, जिससे एक ही खरपतवार बार-बार न उग सके
जैविक विधियों से भी जैसे नीम तेल या देसी खाद का प्रयोग करके नियंत्रण किया जा सकता है.
खेती में मोथा घास एक गंभीर समस्या है, जिसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है. यह खेत का पोषण चुरा लेती है और उत्पादन पर सीधा असर डालती है. लेकिन यदि किसान समय रहते इसकी पहचान कर लें और ऊपर बताए गए तीन उपाय अपनाएं गहरी जुताई, उचित हर्बीसाइड और नियमित देखभाल तो इस ‘खेती के कैंसर’ को जड़ से खत्म किया जा सकता है। आज की खेती में जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है.