वर्षों से महसूस हो रही थी घुटन…मु्स्लिम औरत ने अपने तीन बेटों के साथ मंदिर में उठाया ये कदम

वर्षों से महसूस हो रही थी घुटन…मु्स्लिम औरत ने अपने तीन बेटों के साथ मंदिर में उठाया ये कदम


एक बार फिर खंडवा की धरती पर एक ऐतिहासिक पल सामने आया है, जहां एक मुस्लिम महिला ने अपने तीन बेटों के साथ इस्लाम धर्म को त्यागकर विधिवत रूप से सनातन धर्म में घर वापसी की.वर्षों की आंतरिक बेचैनी और धार्मिक घुटन को त्यागकर इस परिवार ने महादेवगढ़ मंदिर परिसर में वैदिक विधि से धर्म परिवर्तन संस्कार कराया.
यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि एक आत्मा की पुकार का उत्तर था, जिसमें एक मां और उसके तीन बेटे अपने मूल धर्म की ओर लौटे.

घर वापसी की पवित्र प्रक्रिया
खंडवा के प्रतिष्ठित महादेवगढ़ मंदिर में रविवार को एक विशेष धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में हसीना बी, जो अब रुक्मिणी बन चुकी हैं, ने अपने तीन पुत्रों  फरीद (अब अक्षय), असलम (अब अजय), और राशिब (अब राजकुमार) के साथ सनातन धर्म में वापसी की.
इस आयोजन के लिए बाहर से पंडितों की टोली बुलवाई गई थी. पूरे कार्यक्रम में वेद मंत्रों, प्रायश्चित संस्कार, स्नान, जनेऊ संस्कार और महाआरती जैसी शुद्ध वैदिक विधियों को निभाया गया. चारों ने विधिवत धर्म शुद्धि कराई और पुनः वैदिक हिंदू समाज में प्रवेश किया.

आत्मा की आवाज बनी बदलाव की वजह
रुक्मिणी देवी (पूर्व में हसीना बी) ने कहा कि उन्हें वर्षों से धार्मिक घुटन महसूस हो रही थी. मन में कई सवाल थे, जिनका जवाब उन्हें अपने धर्म में नहीं मिल रहा था. उन्होंने बताया कि कई बार सपने में भगवान शिव के दर्शन हुए, जिसमें उन्हें लौट आने का संकेत मिला.
मैंने जीवन में पहली बार ऐसा सुकून महसूस किया है, जैसे मैं अपने असली घर लौट आई हूँ. अब मन को शांति मिल रही है. मेरे बच्चों ने भी स्वेच्छा से यह निर्णय लिया.”

बेटों ने भी की स्वेच्छा से धर्म वापसी
तीनों बेटों ने बताया कि उन्होंने भी बचपन से बजरंगबली, शिवजी और रामायण के प्रति विशेष लगाव महसूस किया. लेकिन सामाजिक बंदिशों के कारण वो खुलकर कभी अपनी भावना व्यक्त नहीं कर सके. अब जब मां ने यह निर्णय लिया, तो उन्होंने भी पूरे मन से सनातन संस्कृति को अपनाने का संकल्प लिया. हमें ऐसा लग रहा है जैसे हमारी आत्मा को सही दिशा मिल गई हो। हम बचपन से ही अपने आसपास हिंदू धर्म की बातें सुनते, रामलीला देखते और मन ही मन आस्था रखते थे.

महादेवगढ़ मंदिर बना परिवर्तन का केंद्र
महादेवगढ़ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं रहा, बल्कि अब घर वापसी का केंद्र बनता जा रहा है. मंदिर के संरक्षक अशोक पालीवाल ने बताया कि साल 2025 में अब तक 12 से अधिक लोग इस मंदिर के माध्यम से सनातन में लौट चुके हैं. लोग खुद संपर्क करते हैं और अपनी आस्था के अनुसार घर वापसी की इच्छा जताते हैं.

मुख्यमंत्री से विशेष आग्रह
अशोक पालीवाल ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से आग्रह किया है कि जो लोग स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, उनके लिए दस्तावेजी नाम परिवर्तन की प्रक्रिया सरल और शीघ्र की जाए. उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह प्रक्रिया काफी लंबी और अव्यवस्थित है, जिससे धर्म वापसी करने वाले लोगों को सरकारी स्तर पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

खंडवा की यह घटना यह स्पष्ट करती है कि धर्म का चुनाव कोई दिखावा नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव और आस्था का विषय है. जब व्यक्ति को लगता है कि उसका मन और आत्मा किसी विशेष दिशा में आकर्षित हो रहे हैं, तो वह बिना किसी दबाव के बदलाव को स्वीकार करता है.
यह घर वापसी महज धर्मांतरण नहीं, बल्कि संस्कृति से जुड़ने, जड़ों की ओर लौटने और आत्मिक शांति पाने का मार्ग है. रुक्मिणी और उनके पुत्रों की कहानी ऐसे ही हजारों परिवारों को प्रेरणा देती है जो वर्षों से मन में उलझन लिए जी रहे हैं. यह घर वापसी, सनातन की गोद में आत्मा के सुकून की वापसी है.



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