सांपों का दुश्मन बना उनका सबसे बड़ा दोस्त, सर्पमित्र विवेक तिवारी की कहानी

सांपों का दुश्मन बना उनका सबसे बड़ा दोस्त, सर्पमित्र विवेक तिवारी की कहानी


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Satna News: विवेक तिवारी जब 18 साल के थे, तब उनकी चाची को सांप ने काट लिया था. उनकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद वह सांपों से नफरत करने लगे थे. उन्हें जहां भी सांप दिखता, वह उसे मार देते.

सतना. कभी सांपों का दुश्मन रह चुका यह व्यक्ति आज सांपों का सबसे अच्छा दोस्त है. मध्य प्रदेश के सतना के इस सर्पमित्र की कहानी बेहद दिलचस्प है. कभी सांपों से नफरत करने वाला यह शख्स आज पूरे क्षेत्र में उनका सबसे बड़ा रक्षक बन चुका है. विवेक तिवारी उर्फ शंखधर तिवारी एक समय पर सांप देखते ही उन्हें मारने की सोच रखते थे लेकिन पिछले 20 साल से वह इन बेजुबान जीवों को बचाने में लगे हैं. उन्होंने लोकल 18 से खास बातचीत में बताया कि अब तक उन्होंने 6000 से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू किया है और यह सफर अब भी जारी है.

विवेक तिवारी ने कहा कि एक सर्पमित्र का जीवन किसी भी आम व्यक्ति से अलग नहीं होता लेकिन उनके जीवन में चुनौतियां कहीं ज्यादा होती हैं. उन्होंने कहा कि हम भी एक आम इंसान हैं और हमारा भी परिवार है. जब घर से निकलते हैं, तो ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमारी सांसें लंबी हों, जिससे हम ज्यादा से ज्यादा जीवन बचा सकें. वह कहते हैं कि सर्पमित्रों को अक्सर समाज से वह सम्मान नहीं मिलता, जिसके वे हकदार होते हैं. कई बार लोग समझते हैं कि ये हमारा पेशा है पर ऐसा नहीं है. हमारा उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और सांपों को बचाना होता है. उन्होंने कहा कि रेस्क्यू के बाद सर्पमित्र का धन्यवाद करना चाहिए और कम से कम एक गिलास पानी के लिए तो पूछना ही चाहिए.

खुद भी हो जाते हैं शिकार
उन्होंने आगे कहा कि कई बार रेस्क्यू करते समय सर्पमित्र खुद भी सांप के काटे का शिकार हो जाते हैं. विवेक ने उदाहरण देते हुए बताया कि मुरलीवाला हौसला को भी सांप ने काट लिया था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. जैसे ही वह ठीक हुए, फिर से रेस्क्यू के लिए मैदान में उतर पड़े. यह जज्बा और समर्पण ही सर्पमित्रों को खास बनाता है.

दादाजी की सीख ने बदली जिंदगी
विवेक तिवारी ने अपने जीवन का वह मोड़ साझा किया, जिसने उन्हें सर्पमित्र बनने की राह पर डाला. उन्होंने बताया कि जब वह 18 साल के थे, तब उनकी चाची को सांप ने काट लिया था और उनकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद उनके मन में सांपों के प्रति गहरा गुस्सा भर गया. वह जहां सांप देखते उसे मार देते लेकिन उनके दादाजी ने उन्हें समझाया कि एक बेजुबान जीव को मारने से किसी का भला नहीं होता लेकिन किसी को जीवन देने से जरूर होता है.

सुरक्षा उपकरणों के साथ करते हैं रेस्क्यू
विवेक आज पूरी सुरक्षा के साथ रेस्क्यू पर निकलते हैं. वह सांप पकड़ने के लिए स्टिक, दस्ताने, चश्मे, बूट्स आदि का इस्तेमाल करते हैं ताकि न सिर्फ सांप सुरक्षित रहे बल्कि वह खुद भी किसी खतरे में न आएं.

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