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Agniveer Bharti: हर माता पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे जीवन में अच्छा मुकाम हासिल करें. इसके लिए वो दिन रात मेहनत करते हैं, आइए जानते हैं ऐसे ही एक बच्चे की सक्सेस स्टोरी.
हाइलाइट्स
- हर्षल पाटिल बने फौजी, माता-पिता की मेहनत रंग लाई.
- सुबह 6 बजे उठकर प्रैक्टिस करते थे हर्षल पाटिल.
- गरीबी में भी हर्षल ने कठिनाइयों का सामना कर सफलता पाई.
युवक ने दी जानकारी
लोकल 18 की टीम ने जब फौजी बने हर्षल पाटिल से बात की तो उन्होंने बताया कि मेरे माता-पिता खेत में मजदूरी करने का काम करते हैं. मेरा बचपन से ही एक जुनून और जज्बा था कि मैं देश सेवा करू इसके लिए मैं लगातार प्रयास करता गया जब मेरे पास कोई संसाधन नहीं हुआ करते थे तब मैं अपने गांव के रोड पर ही दौड़ लेता था सुबह 6:00 बजे उठकर प्रैक्टिस करता था ग्राउंड पर शाम के समय में भी जाता था मुझे कई लोगों का इस भर्ती की तैयारी करने में सहयोग मिला है. इसी का नतीजा आज मुझे मिला है कि मेरा सिलेक्शन हो गया है मैं 6 महीने की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जब घर पर पहुंचा तो सभी लोगों ने पुष्प माला पहना कर स्वागत सम्मान किया.
जब इस तरह के विद्यार्थी आम लोग जब तैयारी करते हैं तो उनको खाने-पीने के लिए भी ड्राई फ्रूट प्रोटीन और अन्य प्रकार के व्यंजनों की आवश्यकता होती है लेकिन हर्षल पाटिल एक गरीब और मध्यम परिवार से था उसके पास प्रोटीन की व्यवस्था भी नहीं हो पाती थी तो वह अपने गांव में उगने वाले केले फल और दोस्तों के द्वारा जो भी व्यंजन दिए जाते थे उससे ही प्रोटीन प्राप्त कर लेता था पानी पी पी कर कई मिलो दूर तक दौड़ता रहता था उसका सपना था कि मैं फौजी बनू इसलिए उसने सभी कठिनाइयों को सहन किया और आज इस कठिनाई और इस परिश्रम का फल उसको मिला है.