खर्चा Zero, पैदावार Hero! लौकी की फल बढ़ाने के लिए अपनाएं ये 5 देसी उपाय, सब्जी देखकर पड़ोसी भी पूछेगा राज

खर्चा Zero, पैदावार Hero! लौकी की फल बढ़ाने के लिए अपनाएं ये 5 देसी उपाय, सब्जी देखकर पड़ोसी भी पूछेगा राज


खंडव. खंडवा सहित पूरे निमाड़ क्षेत्र में गर्मियों ओर बारिश के मौसम में लौकी की खेती या घरेलू बागवानी आम बात है. लोग अपने घर के पीछे या गमलों में लौकी की बेलें लगाते हैं, लेकिन अक्सर शिकायत रहती है कि बेल तो खूब बढ़ रही है, पत्तियां हरी-भरी हैं, लेकिन फल नहीं आ रहे. किसान या शौकिया माली इसे खाद की कमी समझकर जैविक या रासायनिक खाद डालते रहते हैं, लेकिन फिर भी कोई खास फर्क नहीं दिखता. दरअसल, यह समस्या केवल खाद की नहीं, बल्कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के सही संतुलन की होती है.

बेल हरी लेकिन फल नहीं? जानिए कारण
लौकी जैसे कद्दूवर्गीय पौधों में फल आने के लिए मिट्टी में पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलन बेहद जरूरी होता है. बेल हरी-भरी हो, इसका मतलब ये नहीं कि पौधा स्वस्थ है. अगर फल नहीं आ रहे, तो इसके दो मुख्य कारण हो सकते हैं-

1. पोषक तत्वों का असंतुलन, खासकर पोटेशियम और फास्फोरस की कमी.
2. परागण की समस्या, यानी नर फूल से मादा फूल तक पराग न पहुंच पाना.

इसका हल है मिट्टी में कुछ मुफ्त और प्राकृतिक चीजें मिलाना, जिनसे पौधों को जरूरी पोषण भी मिलेगा और परागण भी सुधरेगा.

ये पांच फ्री की चीजें लौकी की पैदावार बढ़ा सकती हैं:
1. राख (भस्म):
लकड़ी या उपले जलाने से जो राख बचती है, वो पोटाश से भरपूर होती है. इसे बेल की जड़ों के पास मिट्टी में मिलाएं. यह पौधे को फूल और फल देने में मदद करेगा.

2. छाछ या मट्ठा:
बासी छाछ को पानी में मिलाकर सप्ताह में एक बार पौधों की जड़ों में डालें. इसमें मौजूद सूक्ष्म जीवाणु मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और पत्तों को रोगमुक्त रखते हैं.

3. केला और इसके छिलके:
फलों में केला पोटैशियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत है. पुराने या सड़े हुए केले या उसके छिलकों को बारीक काटकर बेल के पास मिट्टी में दबा दें. ये धीरे-धीरे विघटित होकर पौधे को पोषण देंगे.

4. गोबर से बनी खाद (जैविक खाद):
अगर आपके पास गोबर की खाद है तो उसे सूखा कर छान लें और हल्की मात्रा में मिट्टी में मिलाएं. इससे मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है और पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं.

5. गुड़ और चने का पानी:
गुड़ और भीगे चने के पानी को मिलाकर बेल की जड़ों में डालने से सूक्ष्म जीव सक्रिय हो जाते हैं, जो मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाते हैं और पौधे को पोषण देते हैं.

परागण कैसे सुधारें?
यदि बेल में फूल तो आ रहे हैं लेकिन फल नहीं लग रहे तो यह परागण की कमी का संकेत है. इसके लिए:
सुबह के समय नर फूल का पराग मादा फूल पर हाथ से लगाएं.
फूलों वाले पौधों (गेंदा, सूरजमुखी) को पास में लगाएं ताकि मधुमक्खियां आकर्षित हों.
केमिकल स्प्रे से बचें, इससे मधुमक्खियों की संख्या घटती है.

अन्य जरूरी बातें:-
बेल को धूप मिलनी चाहिए, छाया में फल कम लगते हैं.
सप्ताह में एक बार नीम का पानी या हल्का फफूंदनाशक छिड़कें ताकि पत्ते रोगमुक्त रहें.
जरूरत से ज्यादा पानी देने से जड़ें गल सकती हैं, इसलिए सिंचाई नियंत्रित करें.
लौकी की बेल को सिर्फ खाद से नहीं, बल्कि मिट्टी की सही देखभाल और संतुलन से फलने-फूलने में मदद मिलती है. जो चीजें आपको घर में फ्री में मिलती हैं, वही आपकी फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ा सकती हैं. अगली बार जब बेल फल न दे, तो महंगे खाद की बजाय इन घरेलू उपायों को अपनाएं — यकीन मानिए, आपकी पैदावार देखकर पड़ोसी भी पूछेगा: ”भाई, इसमें ऐसा क्या डाला?”



Source link