रीवा शहर में सरकार की फोटो और लोगो लगी करीब 65 “108 एम्बुलेंस” पिछले कई महीनों से एक वर्कशॉप में धूल खा रही हैं। हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी न होने से ये गाड़ियां मरीजों के काम नहीं आ पा रही हैं। इन्हें अब तक स्वास्थ्य विभाग को सौंपा नहीं गया है।
.
सीएमएचओ संजीव शुक्ला ने बताया, “जय अंबे एजेंसी द्वारा संचालित इन एम्बुलेंस को हैंडओवर करने को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मुख्यालय भोपाल ने कई बार पत्राचार किया है। हमने भी रीवा से पत्र भेजा है। लेकिन प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है।” गाड़ियां जैसे ही मिलेंगी, स्वास्थ्य विभाग उपयोग शुरू कर देगा।
एम्बुलेंस समय पर नहीं, मरीजों की मौत रीवा जिले में एम्बुलेंस सेवा पहले से ही सवालों के घेरे में है। हाल ही में बैकुंठपुर के गुहिया गांव में एम्बुलेंस समय पर न पहुंचने से एक महिला की मौत हो गई। वहीं, एक अन्य मामले में 108 एम्बुलेंस चालक पर मरीज के परिजन से 800 रुपए मांगने का आरोप लगा।
27 लाख की आबादी, भरोसे लायक नहीं व्यवस्था रीवा जिले की आबादी 27 लाख से अधिक है, जिनमें बड़ी संख्या में लोग ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में रहते हैं। ऐसे लोग प्राइवेट एम्बुलेंस का खर्च नहीं उठा सकते। 108 सेवा की एम्बुलेंसें खड़ी रहने से मरीजों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं।
वर्कशॉप में खड़ी गाड़ियों की हालत खराब शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर एक वर्कशॉप में 60 से अधिक एम्बुलेंस खड़ी हैं। ये सभी 4-5 साल पुरानी और छत्तीसगढ़ पासिंग हैं। कुछ एम्बुलेंसों की हालत ऐसी है कि उनमें चारा उग आया है। सवाल यह उठ रहे हैं कि जब तक ये हैंडओवर नहीं होतीं, क्या ये कंडम हो जाएंगी?
कांग्रेस ने उठाए सवाल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा, “क्या एम्बुलेंसें सिर्फ धूल खाने के लिए खरीदी गई हैं? जब इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा, तो 108 सेवा, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की तस्वीरें लगाकर इन्हें खड़ा क्यों किया गया है? कहीं इनका गलत या गैरकानूनी उपयोग तो नहीं किया जा रहा?”